असमंजस: दीपावली का मुख्य पर्व लक्ष्मी पूजन 20 को या 21 को, पर्व निर्णय सभा के तर्कों को खारिज किया इस ज्योतिष ने

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दीपावली का मुख्य पर्व लक्ष्मी पूजन किस दिन होना चाहिए इसको लेकर के इस बार फिर अलग-अलग राय बनी है अमावस्या तिथि के दो दिन पड़ने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है इसको लेकर के कुमाऊं की प्रमुख पर्व निर्णय सभा के विद्वान ज्योतिष आचार्य द्वारा सर्वसम्मति से 21 अक्टूबर को दीपावली का मुख्य पर्व मनाये जाने का निर्णय लिया गया है और जनमानस से अपील की गई है कि यह पर्व 21 अक्टूबर को ही मनाया जाए पर्व निर्णय सभा के संरक्षक डॉक्टर भुवन चंद्र त्रिपाठी ने बाकायदा अनेक धर्म ग्रंथो एवं पंचांगों का हवाला देते हुए 21 अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाना शास्त्र सम्मत बताया है वहीं अब राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अखिलेश चंद्र चमोला ने विभिन्न धर्म ग्रंथो निर्णय सिंधु धर्म सिंधु आदि का हवाला देते हुए दीपावली का मुख्य पर्व लक्ष्मी पूजन 20 अक्टूबर को मनाए जाने का तर्क दिया है उन्होंने इस पर अपनी पूरी तर्कसंगत बात को भी रखा है कुल मिलाकर अभी तक आम जनमानस में यह स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है कि दीपावली का मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाए या 21 अक्टूबर को अनेक धार्मिक संस्थाओं ने भी अभी इस पर अंतिम वक्तव्य जारी नहीं किया है ऐसे में अब असमंजस की स्थिति में हो सकता है कि जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी द्वारा ही दी जाने वाली राय को अंतिम निर्णय माना जाएगा तो आईए जानते हैं डॉक्टर अखिलेश चमोला 20 अक्टूबर को दीपावली मनाए जाने के पीछे क्या तर्क दे रहे हैं उन्हीं के शब्दों में दीपावली 2025: शास्त्र-प्रमाणों के आधार पर जानें 20 या 21 अक्टूबर, किस दिन करें लक्ष्मी पूजन? तंत्रकुल पंचांग निर्णय।

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प्रत्येक वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर जनमानस में कुछ संशय की स्थिति तब बनती है, जब अमावस्या तिथि दो दिनों तक विस्तृत हो जाती है। वर्ष 2025 में भी यही स्थिति बन रही है, जहाँ अमावस्या तिथि 20 और 21 अक्टूबर, दोनों दिनों को स्पर्श कर रही है। ऐसे में यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि शास्त्रानुसार किस दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन और दीपदान करना श्रेयस्कर एवं शुभ है।

धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु और अन्य प्रमुख धर्मग्रंथों में दिए गए नियमों और सिद्धांतों के गहन विश्लेषण के पश्चात, यह पूर्ण रूप से स्थापित है कि वर्ष 2025 में दीपावली का महापर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत है।

निर्णय का मुख्य आधार: ‘प्रदोष व्यापिनी अमावस्या’

दीपावली पूजन की तिथि का निर्णय करने के लिए शास्त्रों का स्वर्णिम नियम है – ‘प्रदोष व्यापिनी अमावस्या’। इसका अर्थ है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल में) अमावस्या तिथि उपस्थित हो, उसी रात्रि को लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए। ‘प्रदोष काल’ को ही लक्ष्मी पूजन का मुख्य ‘कर्मकाल’ माना गया है।

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इस संदर्भ में धर्मसिंधु का वचन स्पष्ट है:

अथाश्विनामावास्यायांप्रातरभ्यंगः प्रदोषेदीपदानलक्ष्मीपूजनादिविहितं॥

अर्थात आश्विन मास की अमावस्या को प्रातः अभ्यंग स्नान और प्रदोष काल में दीपदान तथा लक्ष्मी पूजन आदि का विधान है।

वर्ष 2025 के तंत्रकुल पंचांग का विश्लेषण

आइए, अब हम इस नियम को 20 और 21 अक्टूबर 2025 की तिथियों पर लागू करते हैं:

20 अक्टूबर 2025, सोमवार:

सूर्यास्त: लगभग 17:42 IST

प्रदोष काल का आरंभ: 17:42 IST से

अमावस्या तिथि का आरंभ: 15:45 IST से

विश्लेषण: इस दिन प्रदोष काल के आरंभ से लेकर संपूर्ण रात्रि तक अमावस्या तिथि की अखंड और संपूर्ण व्याप्ति है। यह लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे आदर्श और शास्त्रसम्मत स्थिति है।

21 अक्टूबर 2025, मंगलवार:

सूर्यास्त: लगभग 17:41 IST

प्रदोष काल का आरंभ: 17:41 IST से

अमावस्या तिथि की समाप्ति: 17:55 IST पर

विश्लेषण: इस दिन प्रदोष काल में अमावस्या की उपस्थिति केवल 14 मिनट की है। यह अवधि एक घटिका (24 मिनट) से भी बहुत कम है। पूजा के कर्मकाल के लिए इतनी अल्प अवधि को केवल ‘स्पर्श मात्र’ ले सकते हैं। यह दीपावली हेतु पर्याप्त आधार प्रदान करने योग्य नहीं।

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धर्मसिंधु का निर्णय सूत्र

जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो कि एक दिन पूर्ण व्याप्ति हो और दूसरे दिन न हो, तो धर्मसिंधु का निम्नलिखित सूत्र निर्णय को अंतिम रूप देता है:

पूर्वत्रैवप्रदोषव्याप्तौलक्ष्मीपूजादौपूर्वा अभ्यंगस्नानादौपरा॥

अर्थात यदि केवल पूर्व पहले दिन ही प्रदोष काल में अमावस्या की व्याप्ति हो, तो लक्ष्मी पूजन आदि पूर्व पहले दिन ही करना चाहिए। अभ्यंग स्नान आदि अगले दिन किया जा सकता है।

2025 की स्थिति इस सूत्र पर अक्षरशः उतरती है। 20 अक्टूबर को ‘पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्ति’ (केवल पहले दिन प्रदोष व्याप्ति) है, अगले दिन केवल स्पर्श मात्र है इसलिए लक्ष्मी पूजन इसी दिन होगा।

उपरोक्त सभी शास्त्रीय प्रमाणों, तर्कों और पंचांग के गणितीय विश्लेषण से यह निर्विवाद रूप से सिद्ध होता है कि दीपावली का मुख्य पर्व, लक्ष्मी-गणेश पूजन और दीपदान 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को ही करना शुभ, मंगलकारी और शास्त्रसम्मत है। 21 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या की व्याप्ति एक घटिका भी न होने के कारण उसे लक्ष्मी पूजन के लिए ग्रहण नहीं किया जा सकता। वह दिन अमावस्या के स्नानदान और श्राद्ध कर्मों के लिए मान्य होगा। अभ्यंग भी 21 को करें।

आप सभी को दीपावली के इस पावन पर्व की अग्रिम शुभकामनाएं।

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