इस दिन पड़ेगा धनतेरस यह आएंगे शुभ योग

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धन तेरस पर्व के सन्दर्भ में विशेष —-
लेखक–अखिलेश चन्द्र चमोला,
श्रीनगर गढ़वाल,
हमारी धार्मिक ग्रंथो में चार प्रकार के पुरुषार्थों का वर्णन देखने को मिलता है। ये पुरुषार्थ धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष हैं। चारों पुरुषार्थों में अर्थ की महत्ता को देखते हुए अर्थ को धर्म के बाद सर्वोपरि महत्व दिया गया है। बड़े बड़े ऋषि मुनियों ने अर्थ की सार्थकता को बड़े ही मुक्त भाव से स्वीकारा है। कोई भी कार्य धन के बिना सम्पन्न नहीं किया जा सकता है।इस पहलू को देखते हुए भी प्रत्येक व्यक्ति की हार्दिक इच्छा होती है कि उस पर लक्ष्मी की अनुकम्पा बनी रहे। इस लक्ष्मी की अनुकम्पा को धन तेरस का त्योहार उजागर करता है।इसे धन की त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस वर्ष यह पुनीत पर्व 18अक्टुबर को है। जिसमें क्ई तरह के दुर्लभ और प्रभाव कारी योग बन रहे हैं।जो इस तरह से हैं –
1-त्रिपुष्कर योग – इस योग में खरीदारी करना बड़ा ही शुभ माना जाता है।यह योग सुबह 6बजकर 31मिनट से शुरू होकर 10बजकर 30मिनट तक है।
2-इन्द्र योग-जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि देवताओं के राजा इन्द्र की कृपा को उजागर करता है।यह योग सुबह 7बजकर 48 मिनट तक है।
3-वैधृति योग-यह योग धन सम्पत्ति का प्रतीक माना जाता है।यह योग सुबह 8बजे से है।
4-उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र -यह नक्षत्र सुबह 6बजकर 34मिनट तक है।यह खुशहाली के भाव को उजागर करता है।
5-अभिजीत मूहूर्त -सुबह 11बजकर43मिनट से दोपहर 12बजकर 29मिनट तक है।
6-ब्रह्म योग-यह योग सुबह से लेकर 2बजे तक है।
7-त्रिकोण योग-बुध का त्रिकोण योग और मंगल का केन्द्र वर्ती योग,जो हर दृष्टि से शुभ कारी माना जाता है।
इस पुनीत पर्व पर पूजा पाठ व जप तप करने से महामृत्युंजय के जप के समान महात्म्य की प्राप्ति होती है।अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। परिवार में खुशहाली का वातावरण बन जाता है।इस दिन धनवंतरी देवी की पूजा की जाती है।इसी कारण इस पर्व को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में विवरण है कि एक समय देवताओं के आगे आसुरी शक्ति का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया था। ऐसे में देवता स्वयं को असहाय महसूस करने लग गए थे। देवताओं को अमृत पिलाने की इच्छा से भगवान धन्वंतरि समुद्र से प्रकट हुई।
इस पर्व पर धन्वंतरि देव की पूजा करने से धन की वृद्धि तो होती ही है लेकिन साथ ही अनेक प्रकार की बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है।इस दिन सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कोई न कोई वर्तन जरुर खरीदना चाहिए। इससे धन सम्पत्ति में तेरह गुना वृद्धि होती है ।
धन सम्पदा का स्वामी कुबेर को माना जाता है।कहा जाता है कि कुबेर ने ब्रह्मा और शिव भगवान को खुश करने के लिए बड़ा ही कठोर तप किया। तपस्या से ब्रह्मा और शिव भगवान बड़े ही खुश हुए और उन्होंने कुबेर को सभी धन सम्पदा का स्वामी बना दिया , और कहा कि जो भी श्रद्धा व भक्ति भाव से तेरे नाम का स्मरण करेगा उसके जीवन में कभी भी निर्धनता नहीं आयेगी।उस पर मां लक्ष्मी की अदभुत कृपा बनी रहेगी।
इस दिन सर्वप्रथम पूजा में कुबेर यंत्र ,पीला वस्त्र,अक्षत,अष्ट गन्ध,नाला, फूल,घी,दीपक, तरह-तरह के पकवान,पानी, सुपारी, इलायची,एकाक्षी नारियल,गोमती चक्र,सियार सिंगी,आदि की आवश्यकता होती है।इस दिन उतर दिशा की ओर कुबेर यंत्र को स्थापित करें। अपने आप पीले वस्त्र पहने।चौकी पर पीला वस्त्र विछाये, साथ ही सियार सिंगी और गोमती चक्र को भी चौकी पर रखें। चार मुंह वाला दीपक प्रज्वलित करें। दीपक को अपने बाएं हाथ की ओर रखें। तत्पश्चात गणेश भगवान और कुबेर की एकनिष्ठ भाव से पूजा करें। विनियोग और न्यास करें। इसके पश्चात पूर्ण श्रद्धा से अक्षत पुष्प कुबेर यन्त्र पर छिड़के। कुबेर के इस मन्त्र का ग्यारह सौ बार जप करें।मन्त्र -ऊ श्रीं ॐ ह्लीं श्रीं क्लीं श्रीं क्लीं बित्तेश्वराय नमः।
जप करने के बाद गणेश व मां लक्ष्मी की आरती करें।आरती के बाद कुबेर यन्त्र को अपने पूजा स्थान में रखें।सियार सिंगी को अपने खजाने में रखें।इस तरह से धनतेरस के पर्व पर पूजा करने से जीवन में किसी तरह से धन की कमी देखने को नहीं मिलेगी।
लेखक -जिलाधिकारी रजत प्लेट, मुख्य मंत्री सम्मान, स्वर्ण पदक ,भारत गौरव सम्मान के साथ महामहिम राज्यपाल पुरस्कार से भी विभूषित हैं

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