प्रख्यात ज्योतिषाचार्य ने बताई सावन मास की महिमा,

बिष को बाहर निकाल कर अमृत में बदलने का माह है श्रावण मास—मासों में उत्तम मास श्रावण मास प्रारम्भ हो चुका है इस समय भगवान शिव की पूजा, पार्थिव पूजन, रूद्राभिषेक, आदि से पूरा माह शिवमय हो जाता है। यह समय भगवान शिव की महिमा, से जीवन के कष्ट अपराध, रोग शोक भय को दूर करने का होता है भगवान शिव परम कल्याण कारी होते है। बस ध्यान रखना है कि पूजा से पहले भगवान का स्मरण कर । तन मे मन: शिवसंकल्पमस्तु। कह कर पूजा अराधना करनी चाहिए, जिसका अर्थ होता हे भगवान शिव मेरा मन परम कल्याण कारी हो। सभी को मेरी पूजा का फल प्राप्त हो। हे ईश्वर जिस प्रकार ककडी का फल परिपक्व होकर बेल से अलग हो जाता है उसी प्रकार आप हमे जन्म मृत्यु के बन्धन से मुक्त करें। भगवान शिव गले में नागों को डालकर मनुष्य को यह दिखाना चाहते है कि संसार राग, ईर्ष्या, विष, जलन से भरा है अतः सभी को अमृत स्वरूप समझ कर गले लगाना चाहिए। जिस प्रकार दूध से दही, मट्ठा तत्पश्चात मक्खन निकाला जाता है ठीक उसी प्रकार जीवन को भी शुद्ध व सात्विक किया जाना चाहिए जो शिव तपस्या से ही संभव है। श्मशान की राख से भगवान दिखाना चाहते है कि यह संसार नश्वर है जो पं चतत्व से मिलकर बना है और उसी श्मशान की राख में मिल जाना है, अतः जन्ममरण को सहर्ष स्वीकार कर भगवत मय हो जाना चाहिए। हर मनुष्य को विष को धारण करने की योग्यता होनी चाहिए। शिव उपासना धर्म संस्कृति, समन्वय, लक्ष्य का प्रतीक है जो कि सर्व श्रेष्ठ मोक्ष कीर्ति को प्रदान करता है। यही शिव का सार है, नाग, सर्प, भस्म, जटा के माध्यम से भगवान बताते है कि यहजीवन जटा के समान उलझा हुआ है अतः भगवान की योग क्रिया द्वारा ही इस उलझन भरी जिन्दगी से पार पाया जाता है। अतः जीवन जीने की कला भगवान शिव से ही प्राप्त किया जा सकता है। पं त्रिभुवन उप्रेती संस्कार ज्योतिष भाग्य दर्पण नया बाजार हल्दूचौड हल्द्वानी नैनीताल।।
