निशुल्क पौधे वितरण का समय बढ़ाया अब इस दिन तक मिल सकते हैं निशुल्क पौधे

अब तक 5 लाख पौधे निशुल्क भेंट कर चुके पर्यावरणविद् डॉ आशुतोष पंत ने बताया कि इस बरसात का पौधरोपण समापन की ओर है पर अभी लगभग साढ़े तीन हजार पौधे और भेंट किए जाने हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पंचायत चुनाव एवं पहाड़ों में आई आपदा के कारण पौधा वितरण अभियान देरी से शुरू हुआ ऐसे में इसे अब बड़ा कर 15 अक्टूबर तक कर दिया गया है जो भी पौधे लगाने के इच्छुक हैं 15 अक्टूबर तक प्राप्त कर सकतेहै उन्होंने बताया कि वे बड़ी संख्या में पौधे मंगाकर हल्द्वानी की राधाकृष्ण नर्सरी में रखवा देते हैं । वहां से आसपास के क्षेत्रों में पौधे ले जाकर पर्यावरणप्रेमी मित्रों और शुभचिंतकों के सहयोग से लोगों को भेंट किए जाते हैं। इसके अलावा रुद्रपुर, रामनगर, हरिद्वार, हल्दूचौड़ की नर्सरियों से भी आवश्यकतानुसार पौधे उठा लेते हैं। वहां आसपास के कार्यक्रम के लिए दूर से पौधे ना ले जाकर वहीं से ले लेते हैं।
इस बार एक तो पंचायत चुनाव के कारण पौधरोपण देर से शुरू हुआ दूसरा अतिवृष्टि के कारण पर्वतीय क्षेत्र के मार्ग बाधित रहे। इस वजह से विलंब हो गया है। जो लोग पशुओं से पौधों को बचा सकते हैं और सिंचाई की व्यवस्था कर सकते हैं वह तो तब तक पौधे लगा सकते हैं जब तक तापमान बहुत कम ना हो और पाला ना पड़े।
दिसंबर, जनवरी, फरवरी में भी पौधे लगाए जाते हैं पर ऐसे पौधे जो उस समय सुप्तावस्था ( dormancy ) में रहते हैं। जैसे अखरोट, सेब, आडू, नाशपाती, पॉपलर आदि।
हल्द्वानी वाली नर्सरी में अब आम, अमरूद, कटहल, नींबू आदि पौधे तो खत्म हो गए हैं तेजपत्ता, आंवला,रीठा, च्यूरा, बांस, अनार, छितवन (Alstonia) और बॉटल पाम के पौधे बचे हैं। अन्य पौधों के बारे में तो सभी को जानकारी होगी पर च्यूरा, रीठा के बारे में बताना चाहूंगा कि इन्हें पर्वतीय क्षेत्र में कम ऊंचाई वाले स्थानों में लगाया जा सकता है। रीठा से शैंपू बनाया जाता है। च्यूरा के फल भी स्वादिष्ट होते हैं और इसके बीजों से घी बनाया जाता है जो खाने के लिए और साबुन बनाने के काम आता है।
बॉटल पाम और Alstonia के पेड़ बहुत बड़े हो जाते हैं इन्हें मैदानी इलाकों में रिजॉर्ट, बड़े कॉलेजों या शासकीय कार्यालयों के परिसरों में लगा सकते हैं। ये शोभाकारी पेड़ होते हैं।
बांस बहुत जल्दी बढ़ता है इसे कम देखभाल की जरूरत होती है। घने घने लगाने पर सुंदर दिखते हैं। तीसरे साल से इनमें से परिपक्व बांसों को बेचकर व्यवसाय कर सकते हैं।
पेड़ लगाने के इच्छुक लोग वॉट्सएप नंबर 9412958988 पर संपर्क करें।
डॉ आशुतोष पन्त
पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी/पर्यावरणविद, हल्द्वानी।
