इस दिन से जगत के पालनहार रहेंगे योगनिद्रा में, सृष्टि का दायित्व संभालेंगे भोलेनाथ, हरिशयनी एकादशी पर पढ़िए महात्मा सत्यबोधानंद जी का आलेख

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मानव उत्थान सेवा समिति के राष्ट्रीय संगठन सचिव महात्मा सत्यबोधानंद जी ने देवशयनी एकादशी एवं इसके पौराणिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं जो कार्तिक शुक्ल एकादशी जिसे देवोत्थानी एकादशी कहते हैं तब तक की अवधि तक चलते हैं इस दौरान संपूर्ण सृष्टि का दायित्व सदा शिव भोलेनाथ निभाते हैं महात्मा सत्यबोधानंद जी ने बताया कि इस वर्ष देवशयनी एकादशी का पावन दिन 6 जुलाई को प्रारंभ होगा 6 जुलाई से ही चातुर्मास प्रारंभ हो जाएंगे देवशयनी एकादशी के संदर्भ में महात्मा सत्यबोधानंद जी बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु इस दिन योग निद्रा में चले जाते हैं

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एक पौराणिक मान्यता के अनुसार जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने अपने भक्त दैत्य राज बली को उनसे मांगे गए वरदान के रूप में चातुर्मास में पाताल लोक में रहने का वचन दिया था महात्मा सत्यबोधानंद जी ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है इस अवधि में संपूर्ण सृष्टि का उत्तरदायित्व सदा शिव भोलेनाथ निभाते हैं उन्होंने बताया कि कार्तिक शुक्ल की एकादशी जिसे देवोत्थानी अथवा देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है उस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जाग जाते हैं वह पावन दिन इस वर्ष 1 नवंबर को पड़ेगा उन्होंने कहा कि इन महीनों में अपने ईष्ट आराध्य सदगुरुदेव द्वारा प्रदान किया गया उस अजपा नाम का निरंतर सुमिरन करते रहना चाहिए जिस नाम की महिमा स्वयं सदाशिव भोलेनाथ ने भी सुनाई है

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