यदि कुंडली में है कालसर्प दोष तो इस दिन कर लें इसका निराकरण

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पितृदोष एवं कालसर्प दोष को ज्योतिष विज्ञान के अनुसार तमाम प्रकार की बाधा उत्पन्न करने वाला माना जाता है जिस व्यक्ति की कुंडली मे कालसर्प दोष हो उसके निराकरण का सबसे उत्तम दिन नाग पंचमी को माना जाता है ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पितृदोष एवं कालसर्प दोष के निराकरण का सबसे बडा दिन नागपंचमी 29 जुलाई को—श्रावण शुक्ल पक्ष नागपंचमी मंगलवार 29 जुलाई को मनाई जायेगी, यह दिन विष को अमृत में बदलने का सबसे बडा दिन होता है। जन्म कुंडली में जब राहू व केतु के बीच अन्य ग्रह आ जाते है तो ऐसी स्थिति में काल सर्प बन जाता है। जो की अत्यंत पीडा दायक होता है। जीवन में असफलता वैवाहिक जीवन मे तनाव रोजगार व्यापार संतान व भाग्य हीनता, स्वास्थ्य व गंभीर बिमारी आदि कठिनाई यां काल सर्प दोष के कारण होता है। अत: इस दिन शिव मंदिरों व तीर्थ आदि में जाकर किसी योग्य पंडित जी के हाथो से पूजा कर लेना चाहिए इसके अलावा अन्य दिन पूजा करने से काल सर्प का निराकरण नही होता है।। इस वर्ष 29 जुलाई को पंचमी तिथि पूरे दिन भर होने से पूजा के लिए अनुकूल है। मंगलवार का दिन होने से इस दिन पूजा के लिए विशेष योग बन रहा है। जीवन में बिष राग द्वेष, व्यभिचार को अमृत में बदलने का यह दिन शुभ कहा गया है। नाग दोष अत्यंत पीडा दायक होता है अतः मन से उस दिन पूजा करनी चाहिए। काल सर्प दोष के प्रकार— कुंडली में कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते है। 1-अनन्त काल सर्प दोष, 2- कुलिक कालसर्प दोष, 3- वासुकी काल सर्प दोष, 4- शंखपाल कालसर्प दोष, 5-पद्मम कालसर्प दोष, 6- महापद्मम कालसर्प दोष, 7- तक्षक कालसर्प दोष, 8- कर्कोटक कालसर्प दोष, 9- शंखनाद/ शंखचूड कालसर्प दोष, 10- पातक/ घातक कालसर्प दोष, 11- विषधर कालसर्प दोष, 12- शेषनाग नामक कालसर्प दोष, इस दिन क्या करें—— नागपंचमी को काल सर्प दोष से पीड़ित जातक को, शिव मंदिर जो तीर्थ नदी के पास हो पूजा करनी चाहिए, ध्यान व निष्ठापूर्वक पूजन करें, नाग नागिन के जोडे की प्राणप्रतिष्ठा कर रूद्राभिषेक व षोडशोपचार पूजन करें, पंचामृत स्नान करायें, खुद सात्विक रहे , जिस नाम का कालसर्प दोष हो राशि नाम गोत्र के अनुसार करें पंच देव ग्रह पूजन करें, पूजा के उपरांत नाग नागिन चांदी के जोडे को नदी व साफ जगह प्रवाहित करें, पूजा के उपरांत सवस्त्र स्नान करें, पहने हुए वस्त्र दान करें। तथा नूतन वस्त्र धारण करें। ब्राह्मण को दक्षिणा देकर आशीर्वाद मांगें, आवश्यक पूजा सामग्री ले जायें, पूजा व दान के योग्य वस्तु का सेवन खुद न करें। मोरपंख घर पर्स किताबो मे तथा शैय्या में रखने से कालसर्प में फायदा होता है। नियमित गोमेद नग बीच अंगुली में पहनें। पंडित त्रिभुवन उप्रेती संस्कार ज्योतिष भाग्य दर्पण नया बाजार हल्दूचौड हल्द्वानी नैनीताल।।

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