वन क्षेत्राधिकारी की मेहनत रंग लाई, राजा – रुस्तम को मिला जीवन , संजय वन बना मानव एवं वन्य जीव जंतु के प्रेम का अनोखा केंद्र

संजय वन चेतना केंद्र में राजा और रुस्तम की जोड़ी सबका मन मोह रही है बड़ी संख्या में लोग राजा और रुस्तम का दीदार करने पहुंच रहे हैं राजा और रुस्तम की जोड़ी जहां लोगों को आकर्षित कर रही है वहीं इस जोड़ी की सलामती के पीछे वन विभाग के एक अधिकारी का भी वन्यजीवों के प्रति गजब का प्रेम छुपा हुआ है वन क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम के इस अदभुत प्रेम की वजह से आज राजा और रुस्तम संजय वन में बेखौफ विचरण कर रहे हैं जी हां इस खूबसूरत हकीकत की पटकथा 14 जनवरी 2025 से शुरू हुई इसके तहत भाखड़ा रेंज में बाघ ने हाथियों के झुंड पर हमला कर दिया इस हमले में हाथी का एक बच्चा विछुड़ गया जो

भटकते हुए पीपल पड़ाव रेंज अंतर्गत हरिपुरा जलाशय के पास प्लॉट संख्या 82 में घायल मिला जिसका दांया जबड़ा पूरी तरह खराब था इसकी जानकारी वन क्षेत्राधिकारी रूपनारायण गौतम को हुई तो उन्होंने अपने उच्च अधिकारी की मदद से इसका रेस्क्यू किया और पंतनगर यूनिवर्सिटी के पशु चिकित्सक डॉक्टर राहुल सती तथा डॉक्टर तरुण गर्ग की देखरेख में उसका इलाज कराया गया इतना ही नहीं उन्होंने निसार अहमद नाम के महाबत को भी इस हाथी के बच्चे की देखरेख में लगा दिया वन क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम बताते हैं कि उसे दरमियांन उस हाथी के बच्चे की उम्र 3 से 4 महीने रही होगी जो अब सात आठ महीने का हो चुका है अब वह हाथी का बच्चा पश्चिमी वृत्त की मेडिकल टीम की निगरानी में संजय वन में आ चुका है उसका ट्रीटमेंट अब बंद हो गया है

और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है उन्होंने कहा की प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव से अब इसे अन्यत्र बड़े पार्क भेजे जाने का अनुरोध किया गया है रूप नारायण गौतम बताते हैं कि उन्होंने प्यार से इस हाथी के बच्चे का नाम राजा रख दिया इस बीच उन्हें मार्च में अपने ही झुंड से बिछड़ा हुआ एक और हाथी का बच्चा मिला जिसे संजय वन रेस्क्यू कर ले आए वह हाथी का बच्चा आबादी क्षेत्र में चला गया था और लोगों ने उसे घायल कर दिया था उक्त हाथी का बच्चा बाजपुर के बन्ना खेड़ा क्षेत्र में मिला वह भी पूरी तरह से अब ठीक है जिसका नाम प्यार से रुस्तम रखा गया है राजा और रुस्तम अब पूरी तरह से वन क्षेत्रधिकारी से घुल मिल गए हैं और वे जब राजा और रुस्तम को आवाज लगाते हैं तो पलक झपकते ही वे रूपनारायण गौतम से ऐसे लिपट जाते हैं जैसे उनका जन्म-जन्मांतर का कोई साथ रहा हो यह वास्तव में आज के समय में बेहद प्रेरणादाई है क्योंकि एक और जहां मानव और वन्य जीव जंतु के बीच संघर्ष की घटनाएं बड़ी हैं वही वन क्षेत्राधिकारी का वन्यजीवों के प्रति यह प्रेम अपने आप में एक मिसाल ही कहा जा सकता है बताते हैं कि प्रतिदिन राजा और रुस्तम को अलग-अलग पांच लीटर दूध दलिया गुड़ और केले दिए जाते हैं राजा और रुस्तम की जोड़ी को देखने के लिए काफी संख्या में लोग भी आने लगे हैं और जो इनका दीदार कर वापस चले जाते हैं लेकिन राजा और रुस्तम की सलामती के पीछे वन क्षेत्राधिकारी का प्रेम हर किसी के लिए प्रेरणादाई बन चुका है हर कोई वन क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम के वन्यजीवों के प्रति इस कदर आत्मीयता के व्यवहार का कायल है यदि आप भी इस दुर्लभ नजारे को देखना चाहतें
हैं तो हल्द्वानी से रुद्रपुरके मध्य टांडा रेंजअतर्गत संजय वन में इसका दीदार कर सकते हैं
