देव भूमि दर्शन: कांडा का महाकाली दरबार

आस्था का धाम है कांडा का कालिका मंदिर
कुमाऊं में शक्तिपीठों का समृद्धशाली इतिहास है
शक्तिपीठों की एक बहुत बड़ी श्रृंखला कुमाऊं अंचल में है यह शक्तिपीठ अनेक पौराणिक मान्यताओं आस्थाओं को अपने आप में समेटे हुए हैं प्रकृति की खूबसूरत वादियों में स्थित ये शक्तिपीठ सदियों से श्रद्धालुओं की अपार आस्था का केंद्र है वर्ष भर श्रद्धालु इन शक्तिपीठों में पहुंचकर अपना अभीष्ट प्राप्त करते हैं यहां का दिव्य वातावरण मनुष्य को परम शांति प्रदान करता है
ऐसे ही शक्ति स्थलों में से एक है जनपद बागेश्वर के कांडा का मां काली का मंदिर ,मंदिर में लगे शिलालेख के मुताबिक इस शक्तिपीठ की स्थापना दसवीं शताब्दी में जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई , शिलालेख में उल्लेखित है कि काल द्वारा मचाए गए जबरदस्त तांडव से श्रद्धालु भयभीत हुआ करते थे तब जगदगुरु शंकराचार्य ने स्थानीय लोहारों की मदद से लोहे के 9 कड़ाहे मंगा कर उसे कीलित कर पेड़ की जड़ में मां कालिका की स्थापना की जिस स्थान पर आज मंदिर विराजमान है तब से काल का आतंक समाप्त हो गया तथा मां काली की कृपा अनवरत श्रद्धालुओं पर अपनी अनुकंपा बरसाती है आस्था के इस अत्यंत प्राचीन शक्तिपीठ का वर्ष 1998 में स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा सौंदर्याकरण एवं जीणोद्धार किया गया
