स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

आज, 4 जुलाई, स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि है, वह महान संत, विचारक और आध्यात्मिक गुरु, जिन्होंने भारत के प्राचीन दर्शन को विश्व मंच पर स्थापित किया। उनका जीवन और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। स्वामीजी का विश्वास था कि प्रत्येक आत्मा में ईश्वरीय शक्ति निहित है, और इस शक्ति को जागृत करना ही मानव जीवन का उद्देश्य है।”उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो” – यह उनका वह मंत्र है, जो हमें आत्मविश्वास और कर्मठता की ओर प्रेरित करता है। स्वामी विवेकानंद ने वेदांत दर्शन को सरलता से समझाया और बताया कि सच्चा आध्यात्म जीवन से पलायन नहीं, बल्कि जीवन को पूर्णता के साथ जीने की कला है। उनकी नजर में, धर्म का सार सेवा और प्रेम में निहित है। उन्होंने कहा था, “जो तुम्हें कमजोर बनाए, वह धर्म नहीं; जो तुम्हें शक्ति दे, वही धर्म है।”उनका जीवन एक तपस्वी और एक कर्मयोगी का अनुपम संगम था। शिकागो के विश्व धर्म संसद में उनके ऐतिहासिक भाषण ने पश्चिम को भारतीय आध्यात्मिकता का दर्शन कराया। उन्होंने युवाओं को आत्मनिर्भरता, साहस और निःस्वार्थ सेवा का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि आध्यात्मिकता केवल ध्यान और पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सत्य, करुणा और निष्ठा के साथ जीने का मार्ग है।स्वामीजी की पुण्यतिथि पर हमें उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए। उनकी तरह, हमें भी अपने भीतर की असीम संभावनाओं को पहचानना होगा और समाज के उत्थान के लिए कार्य करना होगा। उनकी अमर वाणी हमें याद दिलाती है: “तुम आत्मा हो, तुम अजर-अमर हो, तुम्हें कोई बंधन बांध नहीं सकता।”आइए, इस पुण्यतिथि पर स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लें। उनकी प्रेरणा हमें सदा आत्म-जागृति और सेवा की ओर ले जाए।
लेखक आचार्य प्रकाश बहुगुणा
