देवभूमि दर्शन: त्रेता युग से जुड़ा यह पर्वत महाअवतार,हैड़ाखान तथा नांतिन बाबा की तपस्थली रहा है

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त्रेता युग से जुड़ी है भटकोट पर्वत की कहानी

राजा भरत की तपस्थली है भटकोट पर्वत

दूनागिरी धाम में विराजमान संत भटकोटि महाराज ने बताया भटकोट शिखर का महत्व

मां दूनागिरी के अनन्य भक्त तथा भटकोट शिखर पर 12 वर्षों तक साधना करने के बाद पांडव खोली में 12 वर्षों तक तपस्या के पश्चात 13 वर्षों से लगातार मां दूनागिरी धाम में साधनारत धनवंत गिरी भटकोटि महाराज भटकोट शिखर के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं तथा इसकी महिमा का बहुत ही सुंदर वर्णन करते हैं भटकोटी महाराज जी बताते हैं कि चिरकाल से द्रोणाचल पर्वत पर स्थित भटकोट शिखर राजा भरत जी की तपस्थली मानी जाती है इसके पूर्व की तरफ पिनाकेश्वर की दुर्गम चट्टानी पहाड़ी है इस के शिखर पर भगवान शिव का पूर्ण परिवार स्थित है इसके पश्चिम की ओर पांडव खोली पवित्र पांडव स्थली है यहां पांडवों ने अज्ञातवास के समय निवास किया इसी स्थान पर भीम की खातड़ी (बिस्तर) व द्रोपदी केश विशेष रूप से दर्शनीय है वास्तव में भटकोट एक ऐसा दुर्लभ पहाड़ है कि जिसमें लगभग सभी प्रकार की चट्टानी वनस्पति पाई जाती है मां दूनागिरी दरबार में विराजमान भटकोटी महाराज जी द्वारा भटकोट पर्वत के संदर्भ में दी गई जानकारी के मुताबिक कहीं-कहीं पर प्रकृति की दुर्लभ नस्ल के कस्तूरी मृग पाये या देखने को आते हैं अत्यंत पहाड़ियों से घिरी यह पहाड़ी अनंत रहस्यों को अपने अंदर समेटे हैं महा अवतार बाबा, हैड़ाखान व नान्तिन बाबा के तपस्या स्थली भी यही रही है इस पर्वत श्रंखला में कभी-कभी अश्वत्थामा जो अमर है उनके भी दर्शन होते हैं तथा महायोगी श्री दत्तात्रेय महाराज के भी दर्शन सुलभ है इस पर्वत श्रंखला में जल की व्यवस्था की अत्यंत कमी के कारण आकाशी जल की व्यवस्था है कहीं-कहीं जल के स्रोत हैं जो जंगलों की आग से प्रायः समाप्त हो रहे हैं अत्यंत सूक्ष्म कन्दराओं में आध्यात्मिक तरंगों के मध्य जो अति शक्तिशाली है महायोगी महाराज का दर्शन अति दुर्लभ है इस अत्यंत रहस्यमयी पहाड़ी के रहस्य को तो जानना अत्यंत दुर्लभ है पर मनुष्य को अभ्यास और वैराग्य से दुर्लभ भी सुलभ हो जाता है हर मनुष्य के अंतःकरण में जो ज्योति स्वरूप परमात्मा विराजता है हम सभी उसी की अंश मात्र हैं पुरातन वेदों में जो मंत्र थे वह प्रतिपल इस प्रकृति में रहते हैं सूक्ष्म तरंगों के मध्य इन मंत्रों के साथ तारतम्य करना वह स्थिति है जिसे प्रकृति के अनंत गहराई के साथ तरंगित होता है मां दूनागिरी धाम से अथवा मंगली खान नामक स्थान से भटकोट शिखर के दर्शन किए जा सकते हैं जनपद अल्मोड़ा के द्वाराहाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर मंगली खान है जहां से करीब 500 सीढ़ियां ऊपर वैष्णवी रूप में पूजित मां दूनागिरी का दरबार है

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