मतदान की अवधि लंबी हुई किसे मिल रहा फायदा
निकाय चुनाव को लेकर मतदान की लंबी अवधि किसी को फायदा तो किसी के लिए बेहद चुनौती भरी हो रही है चुनाव चिन्ह आवंटन के बाद 20 दिन का समय मतदान की अवधि के लिए तय किया गया जो भाजपा तथा कांग्रेस को तो प्रभावित नहीं करता है लेकिन निर्दलीय एवं अन्य छोटे राजनीतिक दलों के लिए यह चिंता का सबब बन रहा है ऐसा इसलिए कि भाजपा के पास टीम प्रबंधन के साथ-साथ अन्य संसाधनों की कोई कमी नहीं है वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी इतनी लंबी अवधि तक अपना चुनाव प्रचार अभियान सुगमता से चलाने में सक्षम है लेकिन छोटे राजनीतिक दल एवं निर्दलीय चुनावी प्रबंधन को इतने लंबे समय तक संभाल पाने में कहीं न कहीं असफल भी हो जाते हैं उल्लेखनीय है कि 27 दिसंबर 2024 से 30 दिसंबर 2024 तक नामांकन पत्रों को दाखिल करने का समय दिया गया था इसके बाद 31 दिसंबर और 1 जनवरी को नामांकन पत्र की जांच 2 जनवरी को नाम वापसी का दिन तय किया गया था तथा 3 तारीख को चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए मतदान की तारीख 23 जनवरी रखी गई है अर्थात चुनाव चिन्ह आवंटन से लेकर मतदान की तिथि के बीच में लगभग 3 सप्ताह का समय दिया गया है जो निर्दलीय एवं छोटे राजनीतिक दलों के लिए बहुत ज्यादा है क्योंकि अब चुनाव तमाम प्रकार के हथकंडों को अपना कर किया जाने लगा है कहीं धनबल कहीं छलबल कहीं प्रलोभन यह तमाम हथकंडे चुनाव में अपनाए जाते हैं आरोप प्रत्यारोप प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ गलत दुष्प्रचार ऐसे में आर्थिक एवं टीम प्रबंधन से मजबूत राजनीतिक दल तो इस लंबी अवधि को सही से मैनेज कर सकते हैं लेकिन छोटे राजनीतिक दल एवं निर्दलीयों के लिए इतनी लंबी अवधि तक चुनाव प्रचार को मेंटेन रख पाना एवरेस्ट पर चढ़ाई चढ़ने जैसा है ऐसे में माना जा सकता है कि चुनाव में मतदान की अवधि को लंबा खींचना कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष के लिए फायदे की बात हो सकता है