लालकुआं के सियासी समीकरण का सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर बना क्या, आखिर क्या है क्या

ख़बर शेयर करें

लालकुआं में आज 83% ज्यादा लोगों ने मतदान कर लोकतंत्र के प्रति अपने आप को जागरूक होने का उदाहरण प्रस्तुत किया है ऐसा इसलिए हुआ की अध्यक्ष पद के सभी प्रत्याशियों ने अधिक से अधिक मतदान करने की लोगों से अपील की और सभी प्रत्याशियों के समर्थक बड़ी संख्या में मतदान करने के लिए आए इन सब के बीच अब गणित उलझ गया है कि कौन प्रत्याशी बाजी मारेगा लेकिन इन सब के बीच में सबसे बड़ा पूर्वानुमान क्या के बीच उलझ कर रह गया है क्या से अनेक अर्थ निकाले जा रहे हैं पहले यह है कि क्या 10 वर्ष के बाद भाजपा अपने सूखे को खत्म कर यहां कमल खिलाने में कामयाब होगी ऐसा इसलिए की विधायक डॉ मोहन बिष्ट ने पूरी तरह से अपनी प्रतिष्ठा से इस चुनाव को जोड़ दिया है और रात दिन एक कर उन्होंने भाजपा संगठन में जान फूंक कर भाजपा प्रत्याशी प्रेमनाथ पंडित के पक्ष में जबरदस्त धुआंधार प्रचार किया डॉक्टर मोहन बिष्ट के प्रचार अभियान में पूरी तरह से कूदने के बाद भाजपा की उम्मीदों को सफलता के पंख लगने शुरू हुए हैं दूसरा बात क्या पर अगर करें तो यह बात भी सियासी फिजाओं में तैर रही है कि 20 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद क्या कोई पहाड़ी समाज का व्यक्ति अध्यक्ष बन पाएगा अथवा नहीं उल्लेखनीय है कि पूर्व अध्यक्ष कैलाश पंत के बाद यानी की 2003 के बाद कोई भी पहाड़ी समाज का व्यक्ति अध्यक्ष नहीं बन सका है और इस बार सुरेंद्र सिंह लौटनी ने जबरदस्त टक्कर दी है यदि वह विजयी होते हैं तो माना जाएगा कि 20 वर्ष के अंतराल के बाद कोई पहाड़ी समाज का व्यक्ति अध्यक्ष बन गया है तीसरी बात यह है कि अरुणा चौहान के बाद कोई भी महिला प्रत्याशी लालकुआं की अध्यक्ष नहीं बन पाई है और कांग्रेस ने इस बार डॉक्टर अस्मिता को प्रत्याशी बनाया है तो क्या अरुणा चौहान के बाद पूर्व अध्यक्ष विकास पुरुष रामबाबू मिश्रा की पुत्रवधू डॉक्टर अस्मिता इस रिकॉर्ड को दोहरा पाएंगी अथवा नहीं इस पर भी क्या नाम का प्रश्नचिन्ह लग रहा है ऐसे में हार जीत कुछ भी हो या किसी की जीत हो अथवा हार हो लेकिन क्या नाम का शब्द पूरी तरह से सियासी फिजाओं में तैर रहा है ऐसे में पूरा चुनावी गणित क्या पर आकर टिक गया है अर्थात क्या 10 वर्ष बाद का सूखा खत्म होगा तो प्रेम नाथ पंडित अध्यक्ष बनेंगे पहली बार लंबे अंतराल के बाद कोई पहाड़ी अध्यक्ष बनेगा तो सुरेंद्र लोटनी का नाम आएगा और यदि मातृ शक्ति की बात की जाए तो फिर डॉक्टर अस्मिता के सिर पर ताज सजेगा

Advertisement