क्या है इंसान की जिंदगी पढ़िए आचार्य बहुगुणा का आलेख

इंसान की जिंदगी
जिंदगी तीन पेज की है:
पहला और अंतिम पेज भगवान ने लिख दिया है,
पहला जन्म, अंतिम मृत्यु।
बीच के पेज को हमें भरना है; प्यार, विश्वास और मुस्कराहट से।
क्या बोलना है ,यह ज्ञान है,
कब बोलना है यह बुद्धि है!
चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती
*वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है, मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर *बहुत जल्दी चिंता में आ जाते हैं*।
तुलना से बचें और खुश रहें।
ना किसी से ईर्ष्या
, ना किसी से कोई होड़..!!
मेरी अपनी हैं मंजिलें , मेरी अपनी दौड़..!!
प्रभु कृपा जय मां भगवती पुण्यासिनी
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