लोक आस्था का महापर्व: उगते सूरज की ही नहीं, अस्त होते सूरज की भी होती है पूजा

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लोक आस्था का महापर्व छठ पूजन श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है पूर्वांचल की संस्कृति को अपने आप में समेटे यह त्यौहार कई मायने रखता है छठ मैया और सूर्य उपासना का यह महा पर्व इस बात के लिए भी जाना जाता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने आप को एक समान रखने की सीख देता है ऐसा इसलिए की इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें उगते और डूबते सूरज दोनों का ही ध्यान किया जाता है अथवा उपासना की जाती है जबकि किंवदंती चली आ रही है कि अक्सर लोग कहा करते हैं कि उगते सूरज को ही दुनिया सलाम करती है लेकिन इस मिथक को तोड़ा है पूर्वांचली संस्कृति ने और संदेश दिया है कि यदि उगते हुए सूरज को हम अस्त होते हुए देखते हैं तो अस्त होने वाला सूरज भी उदय होता है अर्थात सुख-दुख हानि लाभ यश अपयश में व्यक्ति को एक समान रहने की कोशिश करनी चाहिए