57 वर्षों बाद बन रहा है हनुमान जन्मोत्सव पर यह अद्भुत संयोग, पढ़िए ज्योतिषाचार्य शिक्षाविद् अखिलेश चंद्र चमोला का आलेख

हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष ——
लेखक ——अखिलेश चन्द्र चमोला,
वरिष्ठ हिन्दी अध्यापक राजकीय इंटर कॉलेज सुमाडी विकासखंड खिर्सू जनपद पौड़ी गढ़वाल,
हमारे भारतीय धर्म ग्रंथों में 33कोटी देवताओं को मानने की अद्भुत परम्परा है,जिनकी पूजा करने से भक्त के सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।इन 33कोटी के देवताओं में हनुमान जी को अजर अमर रहने का वरदान प्राप्त है। कलियुग में हनुमान जी को प्रत्यक्ष देवता के रुप में माना जाता है।कहा जाता है कि हनुमानजी प्रभु श्री राम का स्मरण करने वाले भक्तों पर अपनी अद्भुत कृपा बरसाते हैं। चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जी का अवतरण हुआ।इस वर्ष यह तिथि 12अप्रैल शनिवार को है। शनिवार के दिन जन्मोत्सव का होना अपने आप में अद्भुत व प्रभाव कारी संयोग को दर्शाता है।यदि हम ज्योतिषीय विश्लेषण करें,तो इस तरह का संयोग 1968 में बना था। कुल मिलाकर कहने का आशय यह है कि 57वर्षो बाद इस तरह की स्थिति बन रही है। हस्त नक्षत्र में मीन राशि में पन्चाग्रही योग बन रहा है सूर्य शनि राहु की त्रियुति और शुक्र बुध का प्रभाव कारी योग बन रहा है। हनुमान जी को शिव अवतार, रूद्रावतार के रूप में माना जाता है।
हनुमान शब्द में प्रत्येक अक्षर अपना विशिष्ट अर्थ स्पष्ट करता है।हब्रह्मा का* नु*अर्चना का *मांलक्ष्मी औरन*पराक्रम का द्योतक है।
हनुमान जी के जन्म की शास्त्रों में अद्भुत कहानी देखने को मिलती हैं।
कहा जाता है कि महाराजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ से प्राप्त प्रसाद अपनी रानियों में वितरित किया। संयोग से उसका एक भाग गरुड़ उठाकर ले गया, उसने उसे ऐसे स्थान पर गिरा दिया जहां अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या कर रही थी। प्रसाद खाने से अंजलि गर्भवती हुई और कालांतर में हनुमान जी का अवतरण हुआ।
प्रभु राम से हनुमान जी अगाध स्नेह करते हैं। सर्वप्रथम शिला पर राम कथा हनुमान जी द्वारा ही लिखी गई।
एक बार हनुमान जी ने माता सीता को अपनी मांग में सिंदूर भरते देखा,तो पूछा कि मैय्या यह क्या है। आप इसे क्यों लगा रहे हैं।माता सीता ने कहा कि इसे लगाने से तुम्हारे प्रभु की उम्र में वृद्धि होती है। ऐसा सुनकर हनुमानजी ने अपने पूरे शरीर पर लाल सिन्दूर का लेपन किया,माता सीता ने जब हनुमान को ऐसी स्थिति में देखकर कहा कि तुमने ये सब क्यों किया। हनुमान जी ने उत्तर दिया कि माता जी जब एक चुटकी सिंदूर से प्रभु की उम्र में वृद्धि हो सकती है,तो पूरे शरीर में सिन्दूर लगाने से मेरे प्रभु अजर अमर हो जायेंगे।इस पर माता सीता ने कहा कि तुम जैसा भक्त मैंने आज तक नहीं देखा,जो भी भक्त तुम्हारे नाम का स्मरण करेंगे।उनके सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण होंगे। इस प्रकार से हनुमान जी को अष्ठ सिद्धि नौ निधि का वरदान है। हनुमान जी की पूजा में इन्द्रिय निग्रह का होना बहुत जरूरी है। इस दिन भक्तों को चाहिए कि सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे आत्मविश्वास में वृद्धि के साथ पराक्रम और काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
सुबह भक्ति भाव से स्नान करके 11सौ बार मन्त्र का सस्वर वाचन करते हुए हनुमान जी पर हनुमानी सिन्दूर का लेपन करें।मन्त्र जनकल्याण हेतु इस प्रकार से है —–
ऊं नमो हनुमन्ते रुद्रावताराय सर्व शत्रु सहारणाय सर्वे रोग हराय, सर्व वशीकरणाय रामदूताय स्वाहा ।
