दीपावली पर्व की तिथि को लेकर विद्वान आचार्यों में विरोधाभास

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इस बार महालक्ष्मी पूजन को लेकर के विद्वान आचार्यों में विरोधाभास शुरू हो गया है पर्व निर्णय सभा ने जहां महालक्ष्मी पूजन को 21 अक्टूबर के दिन मनाया जाना शास्त्र सम्मत बताया है वहीं अब विद्वान आचार्यों के एक अन्य वर्ग ने महालक्ष्मी पूजन एवं दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर को ही मनाये जाने का तर्क दिया है कुल मिलाकर विद्वान ज्योतिषों के बीच में एक राय नहीं बनने से अब आम जनता में भी भ्रम की स्थिति बनी है क्योंकि आम जनता वही मानती आई है जो विद्वान आचार्यों का मत होता है ऐसे में अब जगतगुरु शंकराचार्य जी के एलान का लोगों को बेसब्री से इंतजार है उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी में पर्व निर्णय सभा के द्वारा 21 अक्टूबर को महालक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली पर मनाए जाने का निर्णय लिया गया था डॉक्टर भुवन चंद त्रिपाठी की अध्यक्षता में विद्वान आचार्यों ने एक मत से 21 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मनाये जाने की घोषणा की थी वहीं अब बागेश्वर के ज्योतिष भूपेन नाथ पाठक के अलावा कैलाश चंद्र सुयाल पंडित जीवन चंद्र जोशी महेश जोशी रमेश चंद जोशी आदि ने 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाए जाने का ऐलान किया है इन विद्वान आचार्यों का कथन है कि 20 अक्टूबर को ही अमावस्या तिथि पूर्ण प्रदोष एवं निशा काल में व्याप्त है इधर गढ़वाल क्षेत्र से जुड़े ज्योतिष डॉक्टर अखिलेश चमोला ने भी 20 अक्टूबर को ही महालक्ष्मी पूजन और दीपावली का पर्व मनाये जाने का ऐलान किया है हालांकि इस बारे में अभी अनेक धार्मिक संस्थाओं ने कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है संभवतः धार्मिक संस्थाएं विद्वान आचारों के बहुमत को देखते हुए अपना फैसला लेंगे इधर आम जनमानस का तर्क है कि जब आपस में ही विद्वान ज्योतिष एक राय नहीं हो सकते हैं तो फिर हम किसकी बात माने ऐसे में अब कहा जा सकता है कि जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी इस पर जल्दी ही कोई अपनी राय देंगे क्योंकि जब कभी भी भ्रम की स्थिति होती है तो जगतगुरु शंकराचार्य उस संशय को दूर करते हैं जगतगुरु शंकराचार्य का फरमान ही अंतिम निर्णय माना जाएगा