20 वर्षों से न्याय की आस में भटकता दलित का परिवार

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अराजक तत्वों के चलते 20 वर्षों से पट्टे की जमीन पर काबिज नहीं हो पा रहा दलित परिवार

कौशाम्बी।*मंझनपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत बंधवा रजवर के मजरा बभन पुरवा के दलित दुखू पुत्र राम स्वरूप को वर्ष 2004 में मंझनपुर तहसील से सरकारी आराजी संख्या 66 बंजर भूमि पर पट्टा मिला था।दुखू का परिवार इस बात से प्रसन्न था कि उसके दुख का पहाड़ कम हो जाएगा और वह सुख में जीवन व्यतीत करेगा लेकिन उसकी तरक्की लोगो को रास नही आई और उसे कानून के मकड़जाल में उलझा दिया। सरकार से पट्टा मिलने के बाद भी दुखू का दुख कम नहीं हुआ और उसकी मुसीबत लगातार बनी रही। 20 वर्षों के बीच अधिकारी नेता और अदालत का दरवाजा ही वह खटखटाता रह गया। कानूनी लड़ाई में फंसने के बाद दलित ने अपनी मजदूरी की रकम भी गवा दी। तरक्की छोड़िए रोटी के लाले पड़ गए लेकिन उसे पट्टे की सरकारी जमीन पर 20 वर्ष की भाग दौड़ के बाद भी कब्जा नहीं मिल सका।

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पहले पुरुषोत्तम लाल लोध ने सरकार के बंजर भूमि को अपना बताकर मुकदमा दाखिल कर दिया जमीन सरकार की थी पट्टा दुखू को मिला था लेकिन बीच में पुरुषोत्तम टांग लगाकर खड़ा हो गया और इस बात को लेकर कई साल तक मुकदमा चला अंत में फैसला हुआ कि जमीन दुखू की है इस जमीन से पुरुषोत्तम से कोई मतलब नहीं है और जब दुखू के पक्ष में अदालत का फैसला आ गया तो गांव का किशन यादव ने सरकार के बंजर आराजी 66 को अपनी बता कर दुखू को कब्जा करने से रोक दिया। सरकार के बंजर आराजी 66 को किशन अपनी बताने लगा और सरकार की आराजी नंबर 66 बंजर जिस पर दुखू को पट्टा मिला है उस पर दुखू को अब किशन कब्जा नहीं करने दे रहा है। 20 वर्षो से न्याय के लिए दलित व्यक्ति थाना दिवस तहसील समाधान दिवस से लेकर एसपी डीएम कमिश्नर मुख्यमंत्री तक सैकड़ो बार फरियाद कर चुका है लेकिन सरकार से पट्टे पर मिले भूमि पर दुखू को अभी तक कब्जा नहीं मिल सका है

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