गोवंश की रक्षा के साथ संगठन की शक्ति का बोध कराता है गोवर्धन पूजा पर्व
5 दिन तक मनाए जाने वाले पंचोत्पसव पर्व में से एक गोवर्धन पूजा का धार्मिक पौराणिक एवं वैज्ञानिक महत्व है इसके अलावा भी गोवर्धन पूजा के अनेक मायने हैं पर्वतीय महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष एवं फाइनल कॉल समाचार पत्र के उत्तर प्रदेश प्रभारी तथा सामाजिक, धार्मिक ,राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र में गहन जानकारी रखने वाले जीवन चंद्र उप्रेती गोवर्धन पूजा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि गौ रूपी धन की पूजा अर्थात गाय की पूजा किया जाना है। शास्त्रों के अनुसार गाय को उसी प्रकार पवित्र माना गया जैसे गंगा नदी। गाय को लक्ष्मी का रूप भी माना गया है ।लक्ष्मी जिस प्रकार धन-धान्य से जीवन पर पूर्ण करती है ,उसी प्रकार गौ अपने दुग्ध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती है ।इसलिए गौ माता संपूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय है ।
पौराणिक कथा के अनुसार श्री कृष्ण भगवान ने श्री मथुरा वासियों की तथा उनके तथा उनके गाय बछड़ों की रक्षा के निमित्त अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, और मूसलाधार वर्षा को रोककर इंद्र का अभिमान नष्ट किया। तब से गोवर्धन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्धन की पूजा करते हैं। गाय बैल को उस दिन स्नान करा कर उन्हें रंग लगाया जाता है। गाय और बछड़ों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
इस पर्व में विधि विधान से श्री कृष्ण भगवान,गोवर्धन एवं गौ की पूजा की जाती है।
लेखक जीवन चंद्र उप्रेती पूर्व सांसद प्रत्याशी नैनीताल उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र उत्तराखंड