गुरु गोविंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों एवं माता गुजरी जी की शहादत को कोटि-कोटि नमन
साहस और धर्म की अमर मिसाल है चार साहिबजादों की शहादत
महान धर्म रक्षक गुरु गोविंद सिंह जी के चार सुपुत्रों की शहादत इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है अमर शहीदों की शहादत त्याग वीरता और श्रद्धा का उज्जवल उदाहरण है गुरु गोविंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों की शहादत को नमन करते हुए सरनजीत कौर इतिहास में अंकित गौरव गाथा का जिक्र करते हुए बताती हैं कि गुरु गोविंद सिंह जी के चार वीर पुत्र बाबा अजीत सिंह जी बाबा जुझार सिंह जी , बाबा जोरावर सिंह जी ,बाबा फतेह सिंह जी ने धर्म और अत्याचार के सामने झुकने की बजाय धर्म एवं सत्य की राह पर चलते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया उन्होंने बताया कि 20 दिसंबर से 28 दिसंबर तक सफर ए शहादत को श्रद्धा पूर्ण स्मरण किया जाता है गुरु गोविंद सिंह जी के चार पुत्रों एवं माता गुजरी जी ने धर्म एवं राष्ट्र रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया वह बताती है कि 20 दिसंबर को गुरु जी का परिवार बिछुड़ गया 21 व 22 दिसंबर को चमकौर साहिब के युद्ध में बडे साहिबजादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह अत्याचार के खिलाफ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए 23 व 24 दिसंबर को माता गुजरी व छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को कैद कर सरहिंद लाया गया जहां उन्हें ठंडे बुर्ज में रखा गया 25 दिसंबर को छोटे साहिबजादों को धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया लेकिन दोनों ने बाल्यावस्था में होने के बाद भी अदम्य साहस का परिचय दिया और धर्म परिवर्तन से साफ इनकार कर दिया 26 दिसंबर को छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी बाबा फतेह सिंह जी को दीवार में जीवित चिनवा दिया गया माता गुजरी ने भी प्राण त्याग दिए 27 ,28 दिसंबर छोटे साहिबजादों व माता गुजरी जी का अंतिम संस्कार किया गया
सरनजीत कौर अमर बलिदानों की शहादत को नमन करते हुए कहती है कि सफर ए शहादत केवल इतिहास नहीं बल्कि वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ियों के लिए सत्य धर्म और न्याय के लिए डटे रहने की प्रेरणा भी है वह आगे कहती हैं कि यह महान अमर गाथा सदियों तक लोगों को साहस और विश्वास का मार्ग दिखाते रहेगी वह कहती हैं कि सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पूर्जा पूर्जा कट मरे कबहु ना छोड़े खेत
लेखिका आंगनवाड़ी कार्यकर्ती हैं
सत्य साधक बृजेंद्र पांडे गुरु जी ने बताई नाम की महिमा, दिया यह संदेश