इनके घरों पर दिवाली की जगह लगा अंधकार का साया, आखिर कौन हैं ये बदनसीब, पढिए पूरी खबर

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कहते हैं खुद से अनजान होना बहुत खतरनाक चीज होती है उम्र का एक ऐसा पड़ाव जिसे लड़कपन कहा जाता है वह जब कुछ करता है तो उसे अंजाम का पता नहीं होता है लेकिन जब अंजाम आता है तो उसका परिणाम बहुत ही खतरनाक होता है ऐसा ही वाकया यहां आया जोश में होश गंवा बैठे युवाओं ने न खुद अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारी बल्कि अपने परिजनों की भी दिवाली के रंग को भंग कर दिया एक मामूली सी बात जिसमें सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान का आवंटन होना था उसमें युवाओं की हठ धर्मिता कहें या इनका जोश या जवानी का नशा जो भी हो इन्होंने आवेश में आकर एक ऐसी अनचाही गलती कर दी जिससे उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया और कहीं नहीं कहीं उनकी चरित्र पंजिका पर भी एक बदनुमा दाग लग गया यह घटना है 22 अक्टूबर की नैनीताल जनपद के विकासखंड हल्द्वानी अंतर्गत हल्दूचौड़ क्षेत्र के देवरामपुर गांव की जहां एक सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन
को लेकर खुली मीटिंग की गई थी न जाने किस बात को लेकर बवाल हुआ और बवाल इस कदर हुआ कि ये युवा अपना होश खो बैठे देखते देखते बात बिगड़ती चली गई इन्होंने हवा में फायरिंग कर खुद अपने आपके लिए बहुत बड़ी मुसीबत पैदा कर दी इतना ही नहीं पूर्व सैनिक पर हवाई फायर कर इन्होंने एक ऐसा काम कर दिया कि जिससे पूरे क्षेत्र के लोग इनके खिलाफ हो गए बात आई अराजक तत्वों को सबक सिखाने की असमाजिक तत्वों को धर पकड़ करने की बड़े-बड़े बयान आए बहुत बड़ा विरोध हुआ और पुलिस ने एक के बाद एक लगभग एक दर्जन युवाओं को धर दबोच कर विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर जेल की सलाखों में भेज दिया पुलिस ने वही किया जो उसे करना था लेकिन इस सब घटनाक्रम के बीच एक बात कही जा सकती है कि अपने सुनहरे भविष्य की तलाश कर रहे युवाओं ने धैर्य खोखर एक ऐसा आत्मघाती कदम उठाया जिसके चलते उनकी दीपावली अपने घर परिवार मित्र जनों सगे संबंधियों के बीच में न होकर जेल की सलाखों के बीच एक ऐसे अंधेरे में बीत गई जिसका ना कोई आदि है और ना कोई अंत इसे इनका दुर्भाग्य कहा जाएगा कि इसके साथ-साथ उनके परिजनों की दीपावली का रंग भी लक्ष्मी कुबेर की आराधना करने की बजाय अपने आंसूओं के सैलाब में बीता हर किसी परिवार की इच्छा होती है कि उसका बच्चा उसका परिवार उसके लोग दीपावली या अन्य त्योहारों का उत्सव धूमधाम के साथ मनाएं लेकिन इन युवाओं ने न जाने क्यों ऐसी गलती कर दी कि अपने साथ-साथ अपने परिवार की खुशियों पर भी प्रकाश की जगह अंधकार का एक ग्रहण लगा दिया ऐसे में कहा जा सकता है कि वर्तमान समय की इस युवा पीढ़ी को धर्म और आध्यात्म के साथ जोड़ना बेहद जरूरी है ताकि ये अपने मानवीय मूल्य का सदुपयोग कर समाज की मुख्य धारा में आगे बढ़े दीपावली में जहां हर किसी के घर में रोशनी का उत्सव दिखाई दिया वही निश्चित रूप से इन युवाओं के परिजनों की अबकी बार दीपावली का रंग फीका हो गया इस मामले में धर्म एवं आध्यात्म के जानकार लोगों कहना है कि वर्तमान समय में युवाओं के अंदर धर्म और धैर्य दोनों ही खो चुका है यदि लोग धर्म के सहारे चलते तो इन्हें सही और गलत का ज्ञान होता और यदि उनके अंदर धैर्य होता तो वे भी सच और गलत का पैमाना तय करते लेकिन दोनों ही मामले में ये लोग असफल हैं और इनकी इतनी बड़ी गलती यह रही कि उन्होंने वह काम कर दिया जो ना उनके परिवार के लिए सही था और ना ही उनके लिए आज ये लोग समाज की नजर में असामाजिक हो गए अपराधी हो गए साथ-साथ अपने और अपने परिवार की खुशियों पर भी बदनुमा दाग लगा दिया काश इन्हें सद्बुद्धि मिले शिक्षा के साथ-साथ विद्या का भी ज्ञान हो जाए तो शायद ऐसी घटनाएं फिर कभी नहीं हो आज जरूरत है ऐसे भटके युवाओं को सही राह दिखाने की ताकि इस युवा पीढ़ी के भविष्य को अंधकार में होने से बचाया जा सके

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