इस दिन से कुमाऊं में प्रवेश करेगी ज्योति कलश यात्रा स्वागत की तैयारी में जुटा गायत्री परिवार

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ज्योति कलश रथ यात्रा के भव्य स्वागत की तैयारी
जिला नैनीताल में 215 स्थानों पर दीपयज्ञ एवं भजन कार्यक्रम के साथ होगा रथ का स्वागत
रथ 17 फरवरी को रामनगर से प्रवेश के साथ अप्रैल प्रथम सप्ताह तक जिला नैनीताल में घूमेगा रथ रामनगर के विभिन्न गांव के बाद बेलपड़ाव कालाढूंगी कोटाबाग के विभिन्न गांव में कार्यक्रम करते हुए 21 फरवरी को हल्द्वानी प्रवेश करेगा। 21 फरवरी से 9 मार्च तक यह हल्द्वानी के विभिन्न मोहल्ले में कार्यक्रम आयोजित करेगा और 9 मार्चको गायत्री शक्तिपीठ हल्दूचौड़ में इसका स्वागत होगा फिर यह हल्दूचौड़ मोटाहल्दू लाल कुआं बिंदुखत्ता आदि स्थानों में घूमेगा मार्च अंत में यह नैनीताल जिले के पहाड़ी स्थानों में प्रवेश कर जाएगा। गायत्री शक्तिपीठ हल्दूचौड़ के प्रबंधक बसंत पांडे ने बताया कि
शांतिकुंज हरिद्वार में प्रज्वलित अखंड दीपक के 100 वें साल के उपलक्ष्य में आ रहा है यह रथ। साथ में गायत्री परिवार की संरक्षिका वंदनीय माता भगवती देवी जी का जन्म शताब्दी वर्ष भी है अगला वर्ष


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गायत्री शक्तिपीठ हल्दूचौड़ द्वारा तय किये जा रहे हैं कार्यक्रम
18 जनवरी 1926 को गायत्री परिवार के संस्थापक संरक्षक वेद मूर्ति तपोनिष्ठ परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी को उनके हिमालय वासी गुरु स्वामी सर्वेश्वरानंद जी ने यह अखंड ज्योति प्रदान की थी जो कि समय 100 वें साल में प्रवेश कर गया है। परम पूज्य गुरुदेव के 24 -24 लाख गायत्री मंत्र जप के 24 महापुरुश्चरण इसी अखंड दीपक के सामने संपन्न हुए। अभी भी इस अखंड दीपक के समक्ष 24 घंटे अखंड जप चलता है। हर महीने शांतिकुंज हरिद्वार में 24 लाख गायत्री मंत्र से अधिक सामूहिक जप होता है।
साधना प्रारंभ होने के कारण गायत्री परिवार का शुभारंभ कहा जा सकता है यह अखंड दीप प्रज्जवलन इसी अखंड दीपक के सामने गायत्री परिवार का यह आंदोलन का संकल्प लिया गया।
गायत्री परिवार भविष्य के समाज का जीवंत मॉडल है, जो मानवीय एकता और समानता के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
यह वैदिक ऋषियों के सदियों पुराने ज्ञान का आधुनिक रूप है, जिन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन का अभ्यास और प्रचार किया, जिसका शाब्दिक अर्थ है “पूरा विश्व एक परिवार है

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