अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में किसान महासभा ने भाजपा को घेरा, किया जोरदार प्रदर्शन
प्रेस विज्ञप्ति
29 दिसंबर
हल्द्वानी
- अंकिता भंडारी को न्याय की मांग, पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो: किसान महासभा
- वीआईपी को बचाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर धामी इस्तीफा दो
- पूरे प्रकरण में सम्मिलित भाजपा नेताओं पर तत्काल एफआईआर कर कार्यवाही हो
- बढ़ती महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगे
- किसान महासभा और भाकपा माले का बागजाला में संयुक्त प्रदर्शन
अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने और पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग को लेकर बागजाला जशबु थान चौराहे पर किसान महासभा और भाकपा माले के संयुक्त तत्वाधान में प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर लगे गंभीर आरोपों के सीबीआई जांच करने तथा वीआईपी की पहचान कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की। साथ ही राज्य में बढ़ती महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाने की भी मांग उठाई गई.
वक्ताओं ने कहा कि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर अपनी पार्टी की छवि बचाने के लिए दोषियों का संरक्षण करने से जनता में आक्रोश है. महिला उत्पीड़न करने वालों को संरक्षण देने वाले मुख्यमंत्री को गद्दी में बने रहने का कोई हक नहीं है।
सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा की अध्यक्ष डॉ उर्मिला रैसवाल ने कहा कि, जघन्य अंकिता भंडारी हत्याकांड में हमेशा से यह चर्चा रही कि अंकिता भंडारी पर किसी वीआईपी को “स्पेशल सर्विस” देने के लिए दबाव डाला जा रहा था और ऐसा करने से इंकार करने पर अंकिता की हत्या कर दी गयी. इस प्रकरण में हत्या के दोषियों को अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद भी यह रहस्य अनसुलझा ही रहा कि उक्त वीआईपी कौन था, जिसकी वजह से अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गयी. लेकिन हाल में सामने आये कुछ सनसनीखेज ऑडियो सार्वजनिक किये गए हैं, उसमें कई रसूखदार लोगों के नाम सामने आए हैं. इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
भाकपा माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, अंकिता मामले में सामने आए दावे बेहद गंभीर और क्षोभनीय हैं, जिनकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच आवश्यक है. इसके लिए जरुरी है कि जिन लोगों को वीआईपी बताया जा रहा है, उनके कॉल डिटेल रिकार्ड्स (सीडीआर) और मोबाइल लोकेशन की जांच हो, उक्त ऑडियो रिकॉर्डिंग्स की फॉरेंसिक जांच हो. पूर्व में इस प्रकरण की जांच उत्तराखंड पुलिस की एसआईटी द्वारा की गयी और वो वीआईपी का खुलासा करने में नाकामयाब रही. स्पष्ट तौर पर इसकी वजह राजनीतिक दबाव है.इसलिए नए तथ्यों की आलोक में जरूरत है कि इस प्रकरण में स्वतंत्र, निष्पक्ष जांच हो और वह प्रदेश के बाहर की एजेंसी द्वारा की जाए. इसलिए हमारी मांग है कि इस प्रकरण में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच करवाई जाए. चूंकि इस प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर भी यह आरोप है कि उन्होंने सीबीआई जांच नहीं होने दी, इसलिए हमारी मांग है कि पूरे मामले पर सीबीआई की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो जिसमें भारतीय जनता पार्टी का किसी भी प्रकार का दबाव रोकना सुनिश्चित किया जाए।
मीना भट्ट ने कहा कि, महिला सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाने जरुरी हैं. जिस तरह से बलात्कार के लिए दोषी करार दिए गए कुलदीप सेंगर को जेल से बाहर आने का रास्ता दे दिया गया या बिलकिस बानो के बलात्कारियों को गुजरात सरकार की पहल पर न केवल जेल से रिहा किया गया, बल्कि भाजपा के लोगों द्वारा फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया गया, उस तरह का उदाहरण कम से कम उत्तराखंड में स्थापित नहीं होने देना चाहिए. आरोपी चाहे कितने ही ताकतवर और रसूखदार क्यों न हों, उन्हें कानून और न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।
इस दौरान भाकपा माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय, किसान महासभा बागजाला अध्यक्ष डॉ उर्मिला रैसवाल, मीना भट्ट, प्रेम सिंह नयाल, हेमा देवी, दीवान सिंह बर्गली, चंदन सिंह मटियाली, हीरा देवी, दुर्गा देवी, तुलसी देवी, हेमा आर्या, हेमा देवी, नीलम आर्या, पुष्पा देवी, सुनीता रावत, कुमकुम, मुन्नी देवी, दीपा देवी, पार्वती, दुर्गा देवी, हेमंती देवी, सुनीता देवी, हेमा, लीला देवी, पुष्पा देवी, मुन्नी देवी, भगवती, अनीता देवी, मालती देवी, हीरा देवी, सरोज देवी, चंपा देवी, सरला सिंह, देवकी देवी, बसंती देवी, सोनिया देवी, पुष्पा देवी, सुनीता, अनीता, शोभा, मिथिलेश आदि मौजूद रहे।
डॉ कैलाश पाण्डेय
जिला सचिव भाकपा माले
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