पर्यावरण विद डॉ आशुतोष पंत की सलाह, जानिए कौन सा समय उपयुक्त है पौधारोपण के लिए

प्रकाशनार्थ
थोड़े से संयम से लाखों पौधे बेमौत मरने से बच सकते हैं।
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर लाखों की संख्या में पौधरोपण किया जाता है। इनमें से 95 प्रतिशत पौधे सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाते हैं और इन्हें लगाकर लोग भूल जाते हैं। फोटोसेशन होता है अखबार या सोशल मीडिया में खबरें छपती हैं पर अगले दिन से किसी को उन पौधों को पानी देने की फुर्सत नहीं होती है। जून में कुछ पर्वतीय इलाकों और दक्षिण भारतीय राज्यों के अलावा सारे भारत में धरती तप रही होती है। ऐसे में सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाने का मतलब है उनकी हत्या करना। इस दौरान बीच बीच में कभी बारिश होती भी है तो अगले दिन फिर तापमान 40/45 डिग्री पहुंच जाता है। इस बारिश के भरोसे पौधे नहीं लगाने चाहिए। यदि हम 15 से 20 दिन इंतजार करके मानसून आने के बाद पौधे लगाएं तो उनके बचने की काफी संभावना रहती है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजगता का मैं हृदय से स्वागत करता हूं। इसमें सहयोग देने वालों का आभार है पर केवल पौधे लगाना ही तो पर्यावरण के प्रति प्रेम नहीं है। इस समय जल संरक्षण, पालीथीन का प्रयोग रोकना, वनों को अग्नि से बचाना ये सब करके भी हम प्रकृति की सेवा कर सकते हैं। बच्चों को बीजों से पौधे तैयार करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। हमारे पूर्वजों ने बहुत सोच समझ कर ही हरेला, हरियाली तीज जैसे उत्सव तय किए हैं। उन्होंने हमें संदेश दिया है कि 15 जुलाई के आसपास धरती का तापमान ठीक हो जाता है उस समय पौधे लगाएं जाएं तो जीवित रहते हैं। दो ढाई महीने लगातार पानी मिलता है तो पौधे खिल उठते हैं उनका अच्छा विकास होता है।
मेरा सबसे अनुरोध है 5 जून को जल संरक्षण, स्वच्छता अभियान आदि कार्यक्रम करें, हरेले के दिन से बड़ी संख्या में पौधे लगाएंगे। हर साल की तरह मेरा निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराने का प्रयास रहेगा। उस समय मुझसे भी पौधे प्राप्त कर सकते हैं।
डॉ आशुतोष पन्त
पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी / पर्यावरणविद, हल्द्वानी।
