श्राद्ध पक्ष में पितृदोष निवारण का सबसे सरल उपाय आचार्य प्रकाश बहुगुणा से जानिए

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।। श्राद्ध पक्ष पितृपक्ष ।।
जैसे कि आपसभी को पता है कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक इस समय को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता हैं।
पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण और उनके नाम पर पंचबलि या त्रिबलि करने से पुण्य प्राप्त होता है, और व्यक्ति अपने जीवन में सुख और संतोष से परिपूर्ण होता है।
आप सब से मेरी एक व्यक्तिगत प्रार्थना है कि दिनांक 7 सितम्बर 2025 से आरंभ होकर 21 सितम्बर 2025 तक के पितृपक्ष में अपने पित्तरों का विधि-विधान से श्राद्ध कर्म, पंचबलि या त्रिबलि व तर्पण का कार्य अवश्य करें।
घर में प्रेत बाधा हो, परिवार में रोग हो, दुख हो, कष्ट हो, आर्थिक परेशानी हो, ऋण का भार हो, विवाह-बाधा व असफलता जैसी अनेक नकारात्मक स्थितियां बन रही हो जीवन भर तो समझ लो 95 प्रकार का पितृदोष हैं।
यदि आपके घर – परिवार में भी इस तरह की परेशानियां है तो समझ लो ये पितृदोष के कारण से हैं।
ये पंचबलि या त्रिबलि कार्यक्रम पितरों की आत्मा के शांति, पितृदोष निवारण और स्वयं सुख शांति पूर्वक जीवन यापन करने के उद्देश्य से ही प्रतिदिन किया जा रहा हैं। अतः इस कार्यक्रम में आप अपने पितरों ( पूर्वजों ) के नाम से कुछ आहुति डालने का कष्ट करें जिससे घर में सुख-शांति बनी रहे।
आप स्वयं से भी घर पे अपने पितरों का तर्पण और पंचबलि कर सकते हैं।
हो सकें तो पूरे पितृपक्ष में नही तो विषेकर जिस दिन आपके पितरों का श्राद्ध हो उस दिन श्राद्ध कर्म के अलावा स्वयं संकल्प लेकर आप अपने पित्तरों की मुक्ति और सदगति के लिए सुंदर कांड, हनुमान चालीसा, या श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ घर पर स्वयं ही करें। उनके निमित्त कुछ भजन-कीर्तन भी स्वयं कर सकते हैं। पितृलोक के देवता भगवान अर्यमा बहुत अधिक दयालु हैं। उनकी कृपा निश्चित रूप से होगी, और वे आपके पित्तरों का कल्याण करेंगे।