अजा एकादशी की शुभकामनाएं जानिए क्या है इसका महत्व

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भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है अजा एकादशी की कथा एवं महिमा का प्रभाव कितना है कि इसके श्रवण मात्र से समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को श्री हरि नारायण की कृपा प्राप्त होती है विद्वान ज्योतिषों के मुताबिक कुंती पुत्र अर्जुन की उत्सुकता को ध्यान में रखते हुए भगवान श्री कृष्ण द्वारा उन्हें अजा एकादशी का महत्व समझाया गया इस कथा के मुताबिक अजा एकादशी की पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अयोध्या के राजा हरिश्चंद्र एक अत्यंत सत्यवादी और बहुत न्यायप्रिय शासक थे. उन्होंने अपने जीवन में बहुत सी कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया. एक बार उनके राज्य पर ऐसा संकट आया कि उन्हें अपनी पत्नी और पुत्र को बेचकर स्वयं एक चांडाल का सेवक बनना पड़ा.

एक दिन राजा हरिश्चंद्र अपनी यह परेशानी लेकर गौतम ऋषि के पास पहुंचे. गौतम ऋषि ने राजा की पीड़ा सुनी और उन्हें भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी. गौतम ऋषि ने बताया कि इस व्रत के प्रभाव से राजा के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और सारे कष्टों से भी मुक्ति मिलेगी.

गौतम ऋषि के कहे अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने अजा एकादशी का व्रत किया और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की. अजा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा के सभी पाप नष्ट हो गए और उन्हें उनका परिवार वापस मिल गया. साथ ही, उन्हें उनका खोया हुआ राज्य भी वापस मिल गया. ऐसा कहते हैं कि अजा एकादशी के प्रभाव एवं व्रत से राजा हरिश्चंद्र को मृत्यु उपरांत स्वर्ग लोक की प्राप्ति हुई सर्वप्रथम इस कथा का श्रवण भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को कराया गया

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