आईए जानते हैं क्या है सावन मास की महिमा
श्रावण मास
सौर श्रावण का प्रारम्भ आज 16 जुलाई से हो रहा है, जबकि चान्द्र श्रावण 11 जुलाई से प्रारम्भ हो गया है और राष्ट्रीय श्रावण 23 जुलाई से प्रारम्भ होगा, इस वर्ष सौर श्रावण में चार सोमवार होंगे, 23 जुलाई को भगवान शिव का जलाभिषेक कांवड़िए करेंगे, 29 जुलाई को नाग पंचमी व 8 अगस्त को व्रत की पूर्णिमा व 9 अगस्त को रक्षाबंधन श्रावणी पूर्णिमा होगी, 16 अगस्त तक श्रावण का महीना होगा व 17 अगस्त को भाद्रपद संक्रान्ति है। भगवान शिव को प्रलय अथवा संहार का देव भी कहा जाता है। प्रलय का अर्थ केवल विनाश ही नहीं होता अपितु जो अनावश्यक है, अतिरिक्त है, अनुपयोगी है, उसका नाश कर देना अथवा असंतुलित को संतुलित करना ही प्रलय कहा जाता है। भगवान शंकर का प्रिय मास है श्रावण, जीवन के दुर्गुणों, विकृतियों, दुर्भावनाओं का संहार अथवा प्रलय करना ही दैवीय जीवन की उत्पत्ति का एक मात्र उपाय है। जीवन की श्रेष्ठता, दिव्यता और शांति के लिए जीवन संतुलित होना ही चाहिए।
भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरुपिणौ।
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धा: स्वान्त:स्थमीश्वरम्।।
परम पवित्र श्रावण मास के प्रथम दिन 16 जुलाई के दिन श्रद्घा और विश्वास के स्वरुप माँ पार्वती और देवाधिदेव महादेव जी के श्रीचरणों में साष्टांग वन्दन करता हूं, जिनके बिना सिद्ध जन अपने अन्त:करण में स्थित ईश्वर को नहीं देख सकते।
सभी शिव भक्तों को हम सबकी ओर से श्रावण मास के प्रथम दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभ मंगल कामनाएं।
आज श्रावण मास के प्रथम दिवस को बिल्वाष्टक स्तोत्र से जिसके रचियता स्वयं गुरु शंकराचार्य जी हैं, विश्व के कल्याण हेतु भगवान सदाशिव की स्तुति व पूजा करनी चाहिए।
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
शिवपूजां करिष्यामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
अखण्डबिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे।
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
शालग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत्।
सोमयज्ञ महापुण्यं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
दन्तिकोटिसहस्राणि वाजपेयशतानि च।
कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
लक्ष्म्या: स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे।
अग्रत: शिवरूपाय बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।
सर्वपापविनिर्मुक्त: शिवलोकमवाप्नुयात्।।
हम सब मिलकर महादेव के प्रिय इस श्रावण माह के प्रथम दिवस को अन्य सामग्री के साथ साथ बिल्व पत्र से भी भगवान की पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण के लिए शिव के श्री चरणों में स्तुति व प्रार्थना करते हैं। शास्त्रों में स्पष्ट वर्णित है कि जिन स्थानों पर बिल्ववृक्ष पाये जाते हैं वह स्थान काशी तीर्थ के समान ही पूजनीय और पवित्र होते हैं। अतः हर जगह बिल्व के वृक्षों के साथ अन।य फलदार वृक्षों को लगा कर आज हरेला के दिन समूची धरा को हरा-भरा करने का सार्थक प्रयास करें। सभी समुदाय को सौर श्रावण व हरेला पर्व की शुभकामना करता हूं।
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