महाकुंभ : पहले सुना था,अब देख भी लिया धरती पर स्वर्ग का अवतरण

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मेरी महाकुंभ यात्रा
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गजब का उत्साह है हर किसी की इच्छा है कि वह प्रयागराज में जाकर महाकुंभ का पुण्य कमाए और गंगा जमुना तथा अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर स्नान कर अपने आपके जीवन को धन्य बनाए करोड़ों का सैलाब महाकुंभ में उमड़ा हुआ है महाकुंभ की महिमा को सुनकर मन में लगा कि मुझे भी महाकुंभ जाना चाहिए दूर संचार विभाग के रिटायर्ड अधिकारी जो हल्दूचौड़ नैनीताल में रहते हैं हरिश्चंद्र कांडपाल जी का मुझे फोन आया कि महाकुंभ चलना है मुझे बड़ी खुशी हुई कि चलो कोई साथ तो मिला मैंने तुरंत 26 जनवरी को महाकुंभ जाने के लिए हामी भर दी उसके बाद किच्छा के भगवान दास वर्मा जो मानव उत्थान सेवा समिति के सदस्य हैं और मेरे गुरु भाई हैं वह भी साथ चलने को राजी हो गए और देखते-देखते पांच अन्य लोग यानी कुल आठ लोग हम महाकुंभ जाने के लिए तैयार हो गए 26 जनवरी को 3:00 बजे बस के द्वारा हम लोग तीर्थराज प्रयाग को रवाना हुए तीर्थराज प्रयाग पहुंचने पर हमें वहां से सटल सेवा प्राप्त हुई जिसने हमें सिविल लाइन तक छोड़ा सिविल लाइंस के बाद हम सभी लोग सेक्टर 8 में जहां सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी का सद्भावना सम्मेलन चल रहा था वहां चले गए हम लोगों ने विचार किया कि हम केवल स्नान के लिए जरूरी वस्तु ही पहन के जाएंगे बाकी सब सामान हम शिविर में संभाल देंगे और वापसी पर फिर यही आराम करेंगे सेक्टर 8 से 4 किलोमीटर दूर नागवासुकि जोन तक हम लोग पैदल गए उसके बाद संगम तट की ओर निकले चलते-चलते करीब 12 से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर हम संगम तट पर पहुंचने पर कामयाब हुए मेरे साथ में और हरिश्चंद्र कांडपाल ही त्रिवेणी संगम पर उस दिन गए शेष अन्य लोगों ने दूसरे दिन जाने का विचार किया वहां से वापसी पर फिर पैदल चले उमंग और उत्साह थकान पर भारी पड़ रही थी लेकिन फिर भी चलना काफी था लेकिन इस बीच जो हम कभी किताबों में पढ़ा करते थे धरती पर स्वर्ग का अवतरण ऐसा सब कुछ कुंभ में चरितार्थ हुआ जगह-जगह संत महात्माओं का समूह देव स्तुति के स्वर कहीं कथा पंडाल में राम कथा का आयोजन कहीं भागवत के स्वर सुनाई दिए तो कहीं सत्संग का आयोजन चल रहा था लोग जगह-जगह टेंट लगाकर भंडारा की सेवाएं दे रहे थे और श्रद्धालुओं को बुला बुलाकर उन्हें प्रसाद स्वरूप भोजन जलपान इत्यादि दे रहे थे कहीं धार्मिक संस्थाएं अपने साहित्य का वितरण कर रही थी तो कहीं पर जल जीवन मिशन के लोग जल संरक्षण को जागरुक करते हुए पुस्तकों का भी वितरण कर रहे थे जगह-जगह निशुल्क स्वास्थ्य केंद्र खुले हुए थे यह सब को देखकर लगा कि वास्तव में हम जिस सनातन की बात करते हैं वह तो यहां पर चरितार्थ हो रहा है

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क्योंकि सनातन परोपकार का ही नाम है या यूं कहा जाए कि सनातन से ही परोपकार उत्पन्न हुआ है बाद में हम सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के सेक्टर नंबर 8 में लगे विशाल सद्भावना शिविर में पहुंचे वहां का नजारा देखने लायक था तीन-तीन भव्य गेटों से प्रवेश एवं बाहर आने की व्यवस्थाएं की गई थी

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एक लाख से अधिक श्रद्धालु शिविर में रुके हुए थे 3000 शौचालय बनाए गए थे सभी के लिए रहने की टेंट में बहुत ही सुंदर व्यवस्थाएं की गई थी सामाजिक समरसता का ऐसा महासंगम उस शिविर में दिखाई दिया जहां जाकर लगा कि जात-पात पूछे नहीं कोई गुरु से मिले सो गुरु का होई अर्थात सभी लोगों में एकात्मता का बहुत ही सुंदर भाव देखने को मिला 27 जनवरी को गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के आने की सूचना प्राप्त हुई फिर बाद में दोपहर 3:00 बजे पता लगा कि वह दिल्ली प्रवास पर है तो आने का कार्यक्रम लगभग निरस्त सा हो गया है बाद में फिर शुभ समाचार करीब 6:30 बजे मिला कि योगी आदित्यनाथ जी आ रहे हैं मंच पर अध्यात्म जगत की दो महान विभूतियां विराजमान थी एक और सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी अमृता माताजी के साथ विराजमान थे युवा संत विभुजी महाराज और सुयश जी महाराज जी भी अपनी गरिमामय उपस्थित से प्रेमी जनों का उत्साहवर्धन कर रहे थे तो देश ही नहीं बल्कि दुनिया में एक विशेष पहचान रखने वाली आध्यात जगत की महान विभूति योगी आदित्यनाथ भी विराजमान हुए उनका सारगर्भित उद्बोधन सुना और पूरा माहौल पिन ड्रॉप साइलेंस हो गया उनका एक-एक शब्द सुनने के लिए लोग लालायित थे मेरे साथ गए अन्य लोग इसे अपने जीवन का परम सौभाग्य मानते हैं कि जहां एक और मां गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन तट पर स्नान करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ वही आध्यात्मिक गंगा में भी स्नान करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ यह सब कुछ निश्चित रूप से जन्म जन्मों के पुण्य पुंज उदय होने के साथ-साथ सद गुरुदेव भगवान की कृपा के द्वारा ही संभव हुआ पांच दिवसीय महाकुंभ प्रवास के बाद 30 जनवरी की रात्रि हमें मानव धर्म के शिविर से सदगुरुदेव महाराज जी के परम शिष्य महात्मा सत्यबोधानंद जी द्वारा निजी वाहन के जरिए बेला कछार सेक्टर 1 तक छोड़ा गया जहां फिर हम सभी लोग बस द्वारा लखनऊ को रवाना हुए और लखनऊ पहुंचने के बाद हम अपने-अपने स्थान को वापस आ गए पुनः आप सभी को कुंभ महापर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं

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