सत्य साधक बृजेंद्र पांडे गुरुजी ने उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं, प्रदेश की खुशहाली के लिए किया हवन अनुष्ठान

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मां पीतांबरी के परम भक्त सत्य साधक बृजेंद्र पांडे उपाख्य गुरुजी ने उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती की पूर्व संध्या पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए देव भूमि उत्तराखंड की समृद्धि की कामना की है बृजेंद्र पांडे गुरु जी ने राज्यवासियों के नाम दिए गए अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि उत्तराखंड देश का गौरव है यहां की महान संस्कृति और परंपराओं ने पूरे विश्व को धर्म एवं अध्यात्म का महान संदेश दिया है देवभूमि की तपस्थली से ऋषि मुनियों ने ज्ञान प्राप्त कर संपूर्ण दुनिया को प्रेम सौहार्द एवं मानवता का पाठ पढ़ाया है उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के 25 वर्ष पूरे होने पर वह प्रदेश की निरंतर उन्नति एवं तरक्की की मां बगलामुखी से प्रार्थना करते हैं और उत्तर प्रदेश के राप्ती नदी के तट पर बैठकर उन्होंने बाकायदा हवन अनुष्ठान कर इस निमित्त कार्य भी शुरू किया है उल्लेखनीय है कि बृजेंद्र पांडे गुरु जी एक महान साधक के रूप में जाने जाते हैं निष्काम कर्मयोगी की भांति सदैव परमार्थ को अपने जीवन का मूल उद्देश्य बनाते हुए बृजेंद्र पांडे गुरु जी ने देवभूमि उत्तराखंड में अनेक साधनाएं की है उनके द्वारा कुमाऊँ मंडल में कालीचौड़ पुटगांव, लालकुआं ,भद्रकाली शक्तिपीठ ,डीडीहॉट शीतला देवी मंदिर गर्जिया देवी मंदिर, मां दूनागिरी मंदिर, सीतावनी क्षेत्र के अलावा गढ़वाल मंडल के देहरादून, हरिद्वार, मां धारी देवी मंदिर, कालीमठ दरबार ,भीलेश्वर महादेव मंदिर , कालीशिला आदि क्षेत्र में अनेक साधनाएं की गई है उनकी साधना का एकमात्र उद्देश्य परमार्थ एवं लोक कल्याण रहा है उनके द्वारा लालकुआं में मां अवंतिका मंदिर में की गई साधना एवं हवन अनुष्ठान जनमानस में बेहद ख्याति का विषय रहा गौर तलब है कि पूर्व में अवंतिका मंदिर से लेकर डिपो नंबर चार के बीच मुख्य मार्ग में अनेक दुर्घटनाएं होती थी जिस वजह से उस क्षेत्र को एक्सीडेंट जोन कहा जाने लगा जिसमें कई अकाल मृत्यु हुई थी बृजेंद्र गुरु पांडे जी ने अवंतिका दरबार में हवन अनुष्ठान एवं साधना की उस साधना का प्रतिफल यह रहा कि वर्ष 2016 से लेकर अब तक वहां एक भी दुर्घटना नहीं हुई फलाहारी मंदिर में भी उनके द्वारा की गई साधना के बाद अनेक लाभकारी परिणाम दिखाई दिए इसके अलावा उन्होंने भारतवर्ष के अलावा नेपाल के भी अनेक क्षेत्रों में लोकमंगल के लिए अनेक साधनाएं की है