इस स्थान पर है देवी का अलौकिक दरबार जहां पल भर में होता है बेड़ा पार

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उत्तराखंड के कण-कण में देवताओं का वास है इसलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है इस देवभूमि में ऐसे अलौकिक देव स्थल है जिनकी महिमा सुनकर आप श्रद्धा से नतमस्तक हो जाएंगे ऐसे ही पावन स्थलों में एक है न्यायकारी देवी माता कोकिला अर्थात कोटगाड़ी का दरबार न्यायकारी देवी के रूप में पूज्य माता कोकिला का मुख्य शक्ति पीठ जनपद पिथौरागढ़ के पांखू नामक स्थान में है लेकिन भक्तजनों द्वारा मुख्य शक्तिपीठ से जोत प्रज्वलित कर अन्य स्थानों पर भी माता कोकिला दरबार की स्थापना की है जिसका महत्व भी मुख्य शक्तिपीठ की तरह ही है त्वरित फल देने वाली माता कोकिला का एक ऐसा ही अद्भुत दरबार जनपद नैनीताल के बिंदुखत्ता अंतर्गत हल्दूधार नामक गांव में है मंदिर के प्रधान पुजारी स्वर्गीय शिव दत्त पाठक द्वारा अपने मूल गांव से ज्योति प्रज्ज्वलित कर यहां लाई गई और मंदिर की स्थापना की गई न्यायकारी कोकिला देवी दरबार की विशेषता है कि यहां घोर विपदाओं से घिरा मनुष्य और तमाम प्रकारों के झंझावातों का सामना करने वाला व्यक्ति यदि सच्चे मन से शीष नवाता है तो उसे त्वरित मनवांछित फल की प्राप्ति होती है कोई भी मनुष्य यदि निर्दोष होने के बाद भी संकटों का सामना करें या उसे न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़े और हर ओर से जब वह न्याय की आस खो बैठता है तो फिर फैसला मां के दरबार में होता है यहां जाकर मनुष्य को तुरंत न्याय प्राप्त होता है और षड्यंत्रकारियों को यथोचित दंड दिया जाता है इस दरबार में पूजा अर्चना लोकमंगल की कामना या खुद के कल्याण के लिए की जा सकती है लेकिन अकारण किसी को कष्ट दिए जाने के उद्देश्य से या छति पहुंचाने के लिए की गई प्रार्थना विपरीत फल भी प्रदान करती है माता कोकिला के दरबार में सच्चे मन से की गई पूजा से भक्तों को सुख संपत्ति समृद्धि शांति के अलावा आरोग्यता का भी वरदान मिलता है और वह दैहिक दैविक भौतिक संतापों के भय से भी मुक्त हो जाता है , वर्तमान में इस मंदिर के प्रधान पुजारी का कार्य स्वर्गीय शिव दत्त पाठक के छोटे बेटे ललित मोहन पाठक देख रहे हैं
या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः

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