खतरनाक: हरे पौधों पत्तियों के लिए साइलेंट किलर बना यह कीड़ा

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अपने आप को हरे रंग से एकरूप करने वाला कीड़ा फूल एवं फलों के पौधों के लिए साक के पौधों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है अपने हरे रंग के कारण हरी पत्तियों में छुपा यह कीड़ा एकदम नजर सा नहीं आता है इसीलिए इसको बेहद खतरनाक माना जाता है इस साइलेंट किलर कीड़े के उपस्थिति का एहसास तब होता है जब पौधा पूरी तरह से मर जाता है अथवा समाप्त हो जाता है इस खतरनाक कीड़े के बारे में बताते हुए प्रमुख पर्यावरणविद् पूर्व जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉक्टर आशुतोष पंत कहते हैं कि
इस फोटो में जो दिखाई दे रहा है दरअसल ये कोई कीड़ा नहीं स्वालोटेल नामक तितली का लार्वा है। 5/7 दिन बाद यह तितली बनकर उड़ जाएगा लेकिन तब तक यह उस पौधे को बहुत नुकसान पहुंचा चुका होगा।
कीट, पतंगों और तितली की तमाम प्रजातियों के जीवन चक्र में अंडे से लार्वा/प्यूपा बनते हैं ये पौधों की पत्तियों और टहनियों को खाकर अपना पोषण करते हैं और बाद में कायान्तरण ( metamorphosis ) करके खुद को पैदा करने वाले कीट, पतंगों या तितली में बदल जाते हैं। कुछ ही दिनों बाद ये फिर से अंडे देने लायक हो जाते हैं और इस तरह इनका जीवन चक्र चलता रहता है।
अंडों से जो रेंगने वाले कीट जैसी अवस्था होती है उन्हें लार्वा कहते हैं। इस अवस्था में यह पत्तियों को तेजी से खाते हैं और अपने शरीर को बढ़ाते हैं। इसके बाद की अवस्था को प्यूपा कहते हैं। प्यूपा पत्तियों की निचली सतह पर या टहनियों से लटके रहते हैं। इस समय यह कुछ खाते नहीं हैं बल्कि अपने कायन्तरण की तैयारी करते हैं। मजेदार बात यह है कि इनमें से अलग अलग लार्वा के पसंदीदा पेड़ अलग अलग होते हैं और ये भरसक प्रयास करते हैं कि अपनी पसंद के पौधे को भोजन बनाएं।
अधिकतर लार्वा या प्यूपा अपने चारों ओर एक रक्षा कवच बना लेते हैं और तितली बनने तक उसके अंदर निष्क्रिय पड़े रहते हैं। अलग अलग प्यूपा कई प्रकार के खोल बनाते हैं। रेशम के कीड़े अपनी लार से पतले धागे से काकून बनाते हैं तो कुछ पेड़ की छोटी शाखाओं को काटकर अपने चारों ओर चिपका लेते हैं।
कायंतरण के बाद अपने कवच को काटकर तितली बनकर उड़ जाते हैं।
यदि इन्हें पेड़ों से नहीं हटाया जाय तो ये पेड़ों का सफाया कर देते हैं।

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लार्वा को मारने के लिए कई रासायनिक कीटनाशक डाले जाते हैं। इनमें क्वीनोलफॉस 2 से 2.5 मिलीलीटर एक लिटर पानी में घोलकर या क्लोरोपयरिफोस 2 मिलीलीटर एक लिटर पानी में घोल कर छिड़काव किया जा सकता है। पर ये रसायन पर्यावरण और मनुष्य के लिए भी हानिकारक हैं इसलिए प्राकृतिक कीटनाशक डालना बेहतर है जिसे आप घर में भी बना सकते हैं। नीम का तेल 5/10 मिलीलीटर एक लिटर पानी में मिलाकर डाल सकते हैं।
मिर्च का काढ़ा , लहसुन का काढ़ा बनाकर पौधों पर छिड़काव करना लाभ देता है।इनमें 5 मिलीलीटर शैंपू डालने से पृष्ठ तनाव बढ़ने से इनका फैलाव अच्छी तरह होता है और ये ज्यादा प्रभावी हो जाते हैं।
जिन्हें पेड़ पौधे लगाने का शौक है उन्हें मेरी सलाह है कि बीच बीच में अपने पौधों का निरीक्षण करते रहें ताकि समय पर छिड़काव करके पौधों को बचाया जा सके।

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डॉ आशुतोष पन्त
पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी/ पर्यावरणविद, हल्द्वानी।

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