रंगो के पर्व होली का क्या है पौराणिक महत्व जानिए युवा आचार्य महेश चंद्र जोशी से

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महेश चन्द्र जोशी शास्त्री ने सबको होली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि होली उत्साह और उमंग से भरा त्योहार और उत्सव है। विष्णु भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं होलिका दहन के लिए लोग महीने भर पहले से तैयारी में जुटे रहते हैं। सामूहिक रूप से लोग लकड़ी, उपले आदि इकट्ठा करते हैं और फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन संध्या काल में भद्रा दोषरहित समय में होलिका दहन किया जाता है होली जलाने से पूर्व उसकी विधि-विधान सहित पूजा की जाती है और अग्नि एवं भगवान विष्णु के नाम से आहुति दी जाती है होलिका दहन और होली के दिन भगवान श्री कृष्ण, श्री हरि और कुल देवी-देवताओं की पूजा करने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है महेश चन्द्र जोशी शास्त्री ने बताया कि दिनांक 9 मार्च रविवार को प्रातः 7:45 के बाद चीर बंधन, रंगधारण, ध्वजारोपण किया जाएगा और
दिनांक 10 मार्च सोमवार को आंवला एकादशी का व्रत किया जाएगा और
13 मार्च गुरुवार को रात्रि में 11:27 तक भद्रा है इसलिए 13 मार्च गुरुवार को रात्रि में 11:27 के बाद होलिका दहन किया जाएगा और
14 मार्च शुक्रवार को काशी में होली खेली जाएगी और उत्तराखंड में 14 मार्च को उत्तराखंड का लोक पर्व फूल देई का त्यौहार मनाया जाएगा
दिनांक 15 मार्च शनिवार को पूरे उत्तराखंड में होली खेली जाएगी
दिनांक 14मार्च शुक्रवार को चन्द्रग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नही पडे़गा

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