आखिर क्यों खास है धनतेरस जिसे भगवान धन्वंतरि के नाम से जाना जाता है
![](https://hanskripa.com/wp-content/uploads/2024/10/Screenshot_20241029_105924_Samsung-Internet.jpg)
5 दिन तक मनाया जाने वाला दीपावली का पर्व आज धनतेरस से शुरू होता है आखिर धनतेरस क्यों प्रसिद्ध है इसे जानते हैं आत्म तत्व के अनुभवी संत महात्माओं के द्वारा महात्मा सत्यबोधानंद जी जो वर्तमान में मानव उत्थान समिति के राष्ट्रीय संगठन सचिव है उन्होंने इसके पौराणिक महत्व पर प्रकाश डालते बताया कि देवासुर संग्राम को रोकने के लिए श्री हरि नारायण के परामर्श पर देव ऋषि नारद ने देव और दानवो को इस बात के लिए संतुष्ट कर दिया कि दोनों ही मिलकर समुद्र मंथन करेंगे और उसमें से निकलने वाले रत्न को परस्पर बांट लेंगे एवं अंत में जो अमृत निकलेगा उसे भी बराबर बांटा जाएगा इससे देव और दानव दोनों ही अमरता को प्राप्त हो जाएंगे देवराज इंद्र और दैत्य के राजा बलि को यह सुझाव पसंद आया और दोनों में सहमति बन गई श्री हरि नारायण की आज्ञा से सुदर्शन चक्र ने मंदरांचल पर्वत को काटकर उसे मथनी बनाया और वासुकी नाग ने उसे मथने के लिए मंदरांचल पर्वत पर रस्सी की भाति अपने आप को लपेट किया मंदरांचल को समुद्र में स्थिर करने के लिए श्री हरि नारायण स्वयं कूर्म अवतार धारण कर अपनी पीठ पर पर्वत को रख लिया सर्वप्रथम कालकूट विष निकला जिसे भगवान भोलेनाथ के अपने कंठ पर धारण किया और नीलकंठ कहलाए उसके बाद ऐरावत हाथी उजसश्रवा घोड़ा, कल्पवृक्ष, पारिजात वृक्ष, कामधेनु, दिव्य मणि ,वारुणि,शंख पदम , अप्सरा आदि रत्न उत्पन्न हुए और अंत में अमृत कलश लेकर के भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि में अवतार लिया तब से इस दिन को धन्वंतरि जयंती अथवा धनतेरस कहा जाता है अर्थात यह दिन तमाम प्रकार के विषय विकारों से मुक्त होकर परमपिता परमात्मा के उस परम प्रकाश को जानने के लिए है जिसका बोध इस नश्वर संसार की भयावहता एवं दलदल से बाहर कर उसे परम शांति प्रदान करता है महात्मा सत्यबोधानंद जी कहते हैं कि धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक माना जाता है इनकी साधना उपासना करने से व्यक्ति लंबी आयु एवं आरोग्यता को प्रदान करता है
![](https://hanskripa.com/wp-content/uploads/2024/08/webtik-promo1.png)