सत्संग में बताइ भक्ति की महिमा, युवा संत के प्रवचन से भाव विभोर हुए श्रद्धालु

ख़बर शेयर करें

भक्ति स्वतंत्र सकल सुख खानी: महात्मा आलोकानंद
बिंदुखत्ता में आयोजित सत्संग में किया प्रेमी भक्तजनों का मार्गदर्शन
श्री हंस प्रेम योग आश्रम संजय नगर बिंदुखत्ता में आयोजित साप्ताहिक सत्संग में सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के शिष्य महात्मा अआलोकनंद जी ने कहा कि भक्ति में कोई बंधन नहीं है उसे समस्त सुखों की खान कहा गया है लेकिन इसे संत महात्माओं के सानिध्य में सत्संग के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है उन्होंने कहा कि सत्संग व्यक्ति की सोई हुई अंतर चेतना को जागृत करता है और जब उसकी अंतर्चेतना सुप्तावस्था से जागृत अवस्था में आ जाती है तो उसे प्रेम होने लगता है प्रेम ही ईश्वर का रूप है क्योंकि स्वयं प्रभु राम ने कहा है प्रेम से होत प्रगट में जाना और जब ईश्वर के प्रति प्रेम बढ़ता है तो भक्ति प्रगाढ़ होती चली जाती है उन्होंने कहा कि कली काल में सबसे बड़ी दुविधा यह है कि जो साथ नहीं जाने वाला है व्यक्ति इस के प्रति परेशान है और उसी का चिंतन करता रहता है और जो उसके साथ जाने वाले सत्कर्म हैं उसकी वह चिंता नहीं करता और यही उसके जीवन का भटकाव है जबकि मनुष्य को ईश्वर का अंश बताते हुए कहा गया है ईश्वर अंश जीव अविनाशी लेकिन अंश अपने अंशी को नहीं पहचान रहा और भवसागर में फंसा हुआ है इस भवसागर से पार करने के लिए उसे समय के सद्गुरु के शरण में जाना नितांत आवश्यक है उन्होंने भजन के माध्यम से कहा कि कर लो भजन की कमाई क्या है भरोसा इस देह का अर्थात इस नश्वर शरीर के प्रति माया मोह में फंसने की बजाय है कि उस परमपिता परमात्मा को समझें जिसकी कृपा से यह मानव जीवन प्राप्त हुआ है उन्होंने कहा कि समय के सद्गुरु मनुष्य को आत्म तत्व का बोध करा देते हैं और जब व्यक्ति को आत्म तत्व का बोध होता है तो फिर उसके लिए इस संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है इस दौरान उपस्थित श्रद्धालु भक्तजनों ने बहुत ही सुंदर भजन कीर्तनों की प्रस्तुति की जिसमें मुख्य रूप से सोने जैसी काया जल जाए ना जप ले नाम हरि का जप ले नाम प्रभु का इसके अलावा सदगुरुदेव की महिमा का वर्णन करते हुए बहुत ही सुंदर भजन प्रस्तुत किया गया सतगुरु बहुत पुराना मर्म उनका कोई कोई जाना अर्थात सतयुग से लेकर कलिकाल तक आदि से लेकर मध्य तक और मध्य से लेकर अंत तक अनादि से लेकर अनंत तक सद्गुरु की महिमा व्याप्त है कोई बिरला ही इसे जान सका है इसे मान सका है यहां मुख्य रूप से केसर सिंह धामी जवाहर सिंह दानू गंगाराम ध्यान सिंह रावत संतराम द्वारिका प्रसाद बसंती दानू समेत अनेकों श्रद्धालु मौजूद रहे

Advertisement