अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में सम्मानित हुए महात्मा सत्यबोधानंद, कहा जिम्मेदारियों का कुशलता पूर्वक निर्वहन करना भी योग का हिस्सा

मानव धर्म के प्रणेता सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के परम शिष्य मानव उत्थान सेवा समिति के राष्ट्रीय संगठन सचिव महात्मा सत्यबोधानंद जी ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दी जाने वाली जिम्मेदारियां का कुशलता पूर्वक कार्य करना ही वास्तव में योग कहलाता है उन्होंने यह भी कहा कि योग के प्रमुख आठ अंग होते हैं जिनमें यह नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधि है उन्होंने कहा कि नियमित योग के अभ्यास से व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ एवं निरोगी रह सकता है उन्होंने यह भी कहा कि योग का अर्थ केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना ही नहीं है

बल्कि योग का मतलब मानसिक एवं चारित्रिक रूप से भी स्वस्थ होना है महात्मा सत्यबोधानंद जी ने यह उदगार ऋषिकेश के मुनि की रेती स्थित गंगा रिसोर्ट के ऑडिटोरियम में आयोजित सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अवसर पर व्यक्त किये महात्मा सत्यबोधानंद बतौर मुख्य अतिथि योग की बारिकियों पर व्याख्यान दे रहे थे उन्होंने कहा कि अपने कार्य को ईमानदारी के साथ करना पूरी तरह से पारदर्शिता की कसौटी पर खरा उतरना भी वास्तव में योग है क्योंकि जो इंसान दायित्वशीलता जवाबदेही एवं पारदर्शिता को जीवन में अपना लेता है तो उसका प्रत्येक कर्म श्रेष्ठ होता चला जाता है जो एक प्रकार से योग का ही अभिन्न अंग है हालांकि उन्होंने कहा कि योग में आठ चीजों का विशेष महत्व है अनुशासन में रहना मानवीय मूल्य के तहत नियमों का पालन करना अपने अंदर एकाग्रता को लाना लक्ष्य पर अडिग होकर चलते रहना अपनी इंद्रियों को संयंमित रखना यह सभी अष्टांग योग के अंतर्गत आते हैं जिसे हम यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ,ध्यान और समाधि के रूप में समझते हैं इस अवसर पर महात्मा सुविदा बाई ने भी विचार दिए इस अवसर पर महात्मा सत्यबोधानंद जी को अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के संचालक मंडल द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया
