संकल्प : जीवन की अंतिम स्वांस तक जारी रहेगा निशुल्क पौधा वितरण, अब तक किए 5 लाख पौधे भेंट

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एक और जहां वृक्षों का अंधाधुंध कटान हो रहा है और घने जंगल भी कंक्रीट में तब्दील हो चुके हैं इन वृक्षों को कहीं विकास के नाम पर बेदर्दी निर्दयता के साथ काटा जा रहा है तो कहीं निहित स्वार्थ के लिए इस पर बेदर्दी से प्रहार होता है स्थिति भयावह हो रही है जिसका जीता जागता उदाहरण आए दिन अनेक राज्यों में आपदा के रूप में देखा जा रहा है ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से भी कोई अनजान नहीं है बावजूद इसके वृक्षों का अंधाधुंध कटान जारी है लेकिन समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पेड़ पौधों के महत्व को समझते हैं और इसके संरक्षण के लिए अपना जीवन अर्पित कर रहे हैं ऐसे कुछ आदर्श लोगों में एक नाम है हल्द्वानी निवासी डॉक्टर आशुतोष पंत का डॉक्टर आशुतोष पंत रिटायर्ड जिला आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी के साथ-साथ एक जाने-माने पर्यावरण विद है उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय सुशील चंद्र पंत की प्रेरणा से वर्ष 88 से 500 पौधे निशुल्क वितरित कर इस महाअभियान की शुरुआत की और वर्ष 96 में उन्होंने इस लक्ष्य को बढ़ाकर प्रत्येक वर्ष 1000 पौधा कर दिया उनके द्वारा दिए जाने वाले पौधों में मुख्य रूप से आंवला कटहल तेजपत्ता अमरूद आम सहजन करौंदा शरीफा नींबू बटर प्लांट च्यूरा होते हैं उन्होंने वर्ष 96 में 1000 पौधे के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए 5000 और अब,20000 के आंकड़े को पार कर लिया है धनोल्टी नकोट, नौकुचियाताल, अल्मोड़ा रुद्रपुर के अलावा हल्द्वानी फतेहपुर में सर्विस करने के बाद जनपद उधम सिंह नगर से सेवानिवृत्त हुए वे लखनऊ पिलखुवा गजरौला इत्यादि से पौधे मांगते हैं और हल्द्वानी एवं हल्दूचौड़ स्थित नर्सरी में सुरक्षित रखवा देते हैं और आवश्यकता अनुसार लोग इनसे संपर्क कर यहां से पौधे निशुल्क प्राप्त करते हैं डॉक्टर आशुतोष पंत द्वारा अब तक 5 लाख पौधों का निशुल्क वितरण किया जा चुका है जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है डॉक्टर आशुतोष पंत इसके लिए कोई सरकारी सहायता प्राप्त नहीं करते हैं और ना किसी गैर सरकारी संगठन एवं व्यक्तिगत तौर पर किसी से मदद मांगते हैं वह अपनी रिटायर्ड होने के बाद मिलने वाली पेंशन का एक बहुत बड़ा हिस्सा पौधों की खरीद और उनके वितरण में खर्च कर देते हैं काश डॉक्टर आशुतोष पंत से प्रेरणा लेकर लोग पौधोंके संरक्षण को ईमानदारी और निष्ठा के साथ आगे आए तो धरती को फिर से हरा भरा रखने के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग और प्राकृतिक आपदा के प्रकोप से बचा जा सकता है डॉ आशुतोष पंत का कहना है कि जीवन की अंतिम श्वास तक पौधों का निशुल्क वितरण जारी रहेगा

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