छठ महापर्व : आखिर क्यों दिया जाता है उगते सूर्य के साथ ढलते सूरज को भी अर्ध्य

कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से चार दिन तक मनाया जाने वाला छठ पूजा महापर्व अपने आप में एक अनूठा पर्व है पारिवारिक सुख शांति के निमित्त किया जाने वाला यह पर्व सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक हो गया है जहां अब सनातन धर्म के हर जाति के हर प्रांत के लोग इस पर्व में अपनी सहभागिता बड़े ही उत्साह के साथ निभाते हैं यह एक ऐसा त्यौहार है जो एक मायने में बेहद खास है अक्सर कहा जाता है कि दुनिया उगते सूरज को ही सलाम करती है उगते सूरज का तात्पर्य समृद्धि और सफलता से है अर्थात जिसका सितारा बुलंदी पर होता है लोग उसी के आगे पीछे घूमते हैं या उसी की चर्चा होती है यह बात आप अक्सर सुन सकते हैं जिसमें कहा जाता है कि दुनिया उगते सूरज को ही सलाम करती है

लेकिन जो संत स्वभाव वाले लोग होते हैं उनके बारे में कहा जाता है कि जिस प्रकार से सूर्य उगते समय और अस्त होते समय समान रूप से अपनी लालिमा बिखेरता है संत लोग भी सम और विषम परिस्थिति में अपना स्वभाव वैसा ही रखते हैं लेकिन यह संख्या बेहद कम होती है मगर छठ महापर्व एक ऐसी अनूठी परंपरा है जहां उगते सूरज के साथ-साथ ढलते सूरज को भी अर्ध्य दिया जाता है यह सम और विषम दोनों ही परिस्थितियों में अपने आप को समान रखने की सीख देता है यह इस बात का भी संदेश है कि यदि दिन है तो रात भी है तो ऐसे में रात के औचित्य से इनकार नहीं किया जा सकता है अर्थात हानि लाभ यश अपयश जन्म मरण यह जीवन के ऐसे अकाट्य सत्य हैं जिनका सदैव स्मरण रखना चाहिए दूसरा व्यक्ति को हमेशा आशावादी होना चाहिए इस बात का भी इसमें संकेत मिलता है कि जब हम ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं तो हमें यह उम्मीद और आशा होती है की ढलता हुआ सूर्य कल उगता सूरज के रूप से इस संपूर्ण जगत को प्रकाशमान करेगा हल्द्वानी के रामपुर रोड सुशीला तिवारी अस्पताल के सामने बने छठ पूजा स्थल पर जोरदार तैयारी चल रही है पूजा स्थल को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया है नहाए खाए, खरना, 36 घंटे का व्रत संकल्प इत्यादि इस त्यौहार के प्रमुख चरण होते हैं छठ पूजा समिति के अध्यक्ष कृष्णा शाह के मुताबिक इस पर्व को मनाने के लिए काफी पहले से ही तैयारी की जाती हैं हर किसी को इस पर्व का इंतजार रहता है प्रेम से बोलिए सूर्य नारायण भगवान की जय, छठ मैया की जय
