परम संत गुप्तपुरी महाराज की साधना स्थली रहा है फलाहारी आश्रम

लालकुआं लालकुआं का फलाहारी आश्रम क्षेत्र का अत्यंत प्राचीन मंदिर है स्थानीय लोगों की आस्था का प्रमुख धाम है यहां वर्ष भर स्थानीय के अलावा दूरदराज के श्रद्धालु भी बड़ी ही श्रद्धा के साथ शीश नवाने आते हैं यह आश्रम गुप्त पुरी महाराज जिन्हें फलाहारी बाबा कहा जाता था उनकी तपोस्थली है गुप्त पुरी महाराज केवल एक समय फलों का आहार लिया करते थे लिहाजा उन्हें भक्तजनों ने फलाहारी बाबा के नाम से पुकारना शुरू कर दिया जानकार लोग बताते हैं कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और कई दशक पूर्व जब यहां बियाबान जंगल था तब से मंदिर स्थापित है गुप्त पुरी महाराज ने अपनी साधना स्थली के रूप में इसे जागृत किया उनके ब्रह्मलीन होने के बाद प्रयाग पुरी माई जी ने आश्रम की व्यवस्थाओं का जिम्मा उठाया उनके ब्रह्मलीन होने के बाद महाकाल पुरी जी ने फलाहारी आश्रम मैं व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी ली उन्होंने इस आश्रम का जीर्णोद्धार करने के अलावा विस्तारीकरण और सुंदरीकरण भी किया उनके अथक लगन एवं मेहनत से यह मंदिर दिव्य एवं भव्य रूप ले चुका है महाकाल पुरी जी के बाद उनकी शिष्या सेवापुरी माई ने यहां सेवाएं की उनके शरीर छोड़ने के बाद वर्तमान में केशवानंद पुरी महाराज और उनकी शिष्या रविनंदन पुरी माई आश्रम की व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं मंदिर में बटुक भैरव शीतला माता पवनसुत हनुमान जगत जननी जगदंबा राधा कृष्ण भोलेनाथ शनि देव आदि के भी मंदिर हैं इसके अलावा यहां पर अखंड धूना भी है मुख्य शक्तिपीठ में पिछले 12 वर्षों से अखंड दीपक भी यहां पर प्रज्वलित है अखंड दीपक के दर्शन करने से व्यक्ति के समस्त प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है आस्था के इस पवित्र धाम में शिवरात्रि एवं नवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं की आवाजाही देखते ही बनती है गुरु पूर्णिमा तथा शरद पूर्णिमा पर भी भव्य आयोजन
