महा अवतार, हैड़ाखान व नांतिन बाबा की तपस्थली रहा है यह पर्वत, अज्ञातवास में पांडवों ने किया था यहां विश्राम

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मां दूनागिरी गिरी के अनन्य भक्त तथा भटकोट पर्वत पर 12 वर्ष की कठोर साधना के बाद पांडव खोली में भी 12 वर्षों तक साधनारत रहे तथा वर्तमान में 14 वर्षों से मां दूनागिरी गिरी के दरबार में धुनी रमाए धनवंती गिरी भटकोटी जी महाराज भटकोट शिखर के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं तथा इसकी महिमा का बहुत ही सुंदर वर्णन करते हैं धनवंती गिरी भटकोटी महाराज बताते हैं कि चिरकाल से द्रोणाचल पर्वत पर स्थित भटकोट शिखर राजा भरत की तपस्थली मानी जाती है इसके पूर्व की तरफ पिनाकेश्वर की दुर्गम चट्टानी पहाड़ी है इसके शिखर पर भगवान शिव का संपूर्ण परिवार स्थित है इसके पश्चिम की ओर पांडव खोली पवित्र पांडव स्थली है यहां पांडवों ने अज्ञातवास के समय निवास किया तथा भीम की खातड़ी बिस्तर एवं द्रोपदी के केश विशेष रूप से दर्शनीय है भटकोटी महाराज जी बताते हैं कि वास्तव में भटकोट एक ऐसा दुर्लभ पहाड़ है

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जिसमें लगभग सभी प्रकार की चट्टानी वनस्पति पाई जाती हैं मां दूनागिरी दरबार में विराजमान भटकोटी महाराज जी द्वारा भटकोट पर्वत के संदर्भ में दी गई जानकारी के मुताबिक कहीं-कहीं पर प्रकृति की दुर्लभ नस्ल के कस्तूरी मृग पाए या देखने को आते हैं अत्यंत पहाड़ियों से घिरी यह पहाड़ी अनंत रहस्यों को अपने अंदर समेटे है महा अवतार बाबा ,हैड़ाखान व नांतिन बाबा की भी यह तपस्या स्थली रही है इस पर्वत श्रृंखला में अश्वत्थामा जो अमर रहे हैं उनके भी दर्शन होते हैं तथा महायोगी श्री दत्तात्रेय महाराज के भी दर्शन सुलभ है इस पर्वत श्रृंखला में जल की अत्यंत कमी के कारण आकाशीय जल की व्यवस्था है कहीं-कहीं जल के स्रोत है जो जंगलों की आग से प्रायः समाप्त हो रहे हैं अत्यंत सूक्ष्म कंदराओं में आध्यात्मिक तरंगों के मध्य जो अति शक्तिशाली है महायोगी महाराज का दर्शन अति दुर्लभ है इस अत्यंत रहस्यमई पहाड़ी के रहस्य को तो जानना अति दुर्लभ है जनपद अल्मोड़ा के द्वाराहाट से 16 किलोमीटर की दूरी तय कर मंगलीखान पहुंचकर लगभग 500 सीढ़ियां चढ़कर मां दूनागिरी धाम के दर्शन होते हैं यहां से आप भटकोट शिखर का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं

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