विधायक पर लगाया बिंदुखत्ता की उपेक्षा का आरोप

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  • विधानसभा में विपक्ष ने बागजाला और बिंदुखत्ता का सवाल उठाया लेकिन लालकुआं विधायक खामोश क्यों ? : डा कैलाश पाण्डेय
  • बागजाला और बिंदुखत्ता समेत वन भूमि पर बसे सभी लोगों को मालिकाना देने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित करो : माले

उत्तराखण्ड राज्य विधानसभा के चल रहे मौजूदा बजट सत्र में हल्द्वानी, धारचूला के विधायकों और नेता प्रतिपक्ष ने बागजाला और बिंदुखत्ता के लोगों की जमीन के मालिकाने और राजस्व गांव का सवाल उठाया लेकिन लालकुआं के भाजपा विधायक डा मोहन सिंह बिष्ट जो यहां से चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं वे चुप्पी लगा गए। उनकी खामोशी क्या बता रही है? यही कि बागजाला और बिंदुखत्ता के लोगों का वोट लेकर विधायक बनने के बाद डा मोहन बिष्ट बागजाला और बिंदुखत्ता की जनता से किया गया वायदा भूल गए हैं। बागजाला गौलापार के निवासी वन विभाग द्वारा दिए गए नोटिस और विकास कार्यों पर लगी रोक को हटाने की मांग पर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन उनके जनप्रतिनिधि होने के नाते उनकी आवाज को आगे बढ़ाने की बात तो छोड़ दीजिए लालकुआं विधायक ने उनसे पूरी तरह किनारा कर लिया है। इसी तरह बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का वादा कर जीतने के बाद यहां की भूमि को डिफोरेस्ट करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाने की कोई पहल लालकुआं विधायक ने नहीं की। यह वक्तव्य भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने प्रेस बयान जारी करते हुए दिया।

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उन्होंने मांग की कि, भाजपा की धामी सरकार और लालकुआं विधायक बागजाला और बिंदुखत्ता समेत सभी वन भूमि पर दशकों से बसे लोगों और ख़त्तावासियों को जो जहां पर है वहीं पर भूमि का मालिकाना अधिकार देने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजें और केंदीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इस भूमि को डिफोरेस्ट करने की अनुमति प्राप्त कर राजस्व गांव की प्रक्रिया शुरू करें। अन्यथा यही समझा जाएगा कि उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार बागजाला और बिंदुखत्ता के निवासियों के हितों की रक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।

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डा कैलाश पाण्डेय
जिला सचिव
भाकपा माले नैनीताल

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