इस दिन से शुरू होंगे नवरात्र

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03 अक्टूबर 2024 गुरूवार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होंगे शारदीय नवरात्र —आस्था, भक्ति, श्रद्धा, की प्रतीक शारदीय आश्विन शुक्ल पक्ष नवरात्रि 03 अक्टूबर 2024 वृहस्पतिवार से प्रारंभ होने जा रहे है। हस्त नक्षत्र के सानिध्य में व देवो के देव भगवान वृहस्पति के दिन प्रारम्भ होकर 12 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन के साथ ही नवरात्रि का त्योहार भी अलविदा होगा। 03 अक्टूबर 2024 गुरूवार को कलश स्थापन के साथ ही हरेला भी बोया जायेगा। कलश स्थापन के लिए व हरेला बोने के लिए देवी स्थापना के लिए प्रातः काल सूर्योदय के बाद का पूरा समय अनुकूल व शुभ मुहूर्त है। नूतन वस्त्र परिधान, व देवी देवताओं के वस्त्र व मूर्ति आदि खरीददारी के लिए अत्यन्त शुभ दिन है। इसी दिन महराजा अग्रसेन जयंती होने के कारण धर्म, बुद्धि, विवेक, अखंड सौभाग्य, धन, संतान, ऐश्वर्य, सुख, शान्ति की प्राप्ति के लिए पूरी नवरात्रि काल में सभी को नवदुर्गा के व्रत को करना चाहिए, सात्विक आहार विहार के साथ शान्त मन से देवी भगवती का गुणगान करना चाहिए, प्रातः काल ब्रहम मूहुर्त में उठकर स्नान करने के बाद पंचदेव पूजन कर कलश स्थापन करें, नारियल को सजाकर कलश में श्रृंगार, परिधान पहनाकर देवी की प्राण प्रतिष्ठा करें। भोग लगाकर, देवी की अराधना पूजन आरती करें। शुद्ध सात या पांच प्रकार के अनाज को साफ व सुन्दर बर्तन टोकरी में हरेला बोकर भगवान गणपति व नव दुर्गा आदि शक्ति का ध्यान करना चाहिए। हो सके तो स्वयं दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती , कवच, कीलक, अर्गलास्तोत्र का नित्य पाठ करें। नवरात्रि की शुभ तिथियां —- 03 अक्टूबर गुरूवार 2024—-नवरात्री प्रतिपदा व्रत प्रारम्भ, कलश स्थापन, हरेला रोपण, शैल पुत्री व्रत,,, 04 अक्टुबर शुक्रवार 2024 द्वितीया नवरात्रि ब्रह्मचारिणी व्रत,, 05 अक्टूबर शनिवार 2024 तृतीय नवरात्री । अहो रात्री। चंद्रघंटा देवी व्रत,, 06 अक्टूबर 2024 रविवार तृतीया/चतुर्थी नवरात्रि कुष्मांडा देवी व्रत,, 07 अक्टुबर सोमवार 2024 पंचमी नवरात्रि स्कंद माता व्रत,, 08 अक्टूबर 2024 मंगलवार स्कंद माता षष्ठी नवरात्रि व्रत,, 09 अक्टूबर 2024 वुधवार सत्तमी नवरात्रि कालरात्रि व्रत,, 10 अक्टूबर 2024 गुरूवार सत्तमी कालरात्रि व्रत,, 11 अक्टूबर 2024 शुक्रवार महाअष्टमी, महा नवमी, महागौरी / सिद्धिदात्री, कन्या पूजन,, 12 अक्टूबर 2024 शनिवार विजयादशमी, दशहरा, हरेला पूजन, दुर्गा विसर्जन।। पूजा हेतु आवश्यक सामग्री —– रोली, चंदन, धूप, अगरबत्ती, बतासे, पंचमेवा, पीली सरसों, पान सुपारी, देवी मां के कपड़े, नाना रंग के फल फूल, पंचमिठाई, नारियल, स्वर्ण प्रतिमा, कच्ची हल्दी, इत्र, सुहाग पिटारी, जौं तिल, देवी फोटो, मूंगफली, प्रसादी, कपूर, शहद, चीनी, गाय का दूध, घी, चूड़ी , चावल, मोदक, काजू-बादाम किशमिश अखरोट, कलावा, साफ सुन्दर मिट्टी, सप्त अनाज, हवन सामग्री, शुद्ध गंगाजल, आदि।।। (नवरात्री सभी कार्यों के लिए शुभ नहीं होती—-अनेक लोगों की आम धारणा है कि नवरात्रि सभी कार्यों के लिए शुभ होती है , परन्तु ऐसा नहीं है। नवरात्रि व्रत पूजन, ग्रह जप, साधना, अनुष्ठान आदि कार्यों के लिए शुभ है परन्तु मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, नूतन ग्रह प्रवेश आदि कार्यों के लिए शुभ नहीं होती है। विशेष कर अगर सूर्य मास कन्या राशि हो तो बिल्कुल ही अनुचित है।। पंडित त्रिभुवन उप्रेती संस्कार ज्योतिष भाग्य दर्पण कार्यालय नया बाजार हल्दूचौड हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखंड।।

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